बिलासपुर: भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अपना दुःख सुनाने आए पुलिस के परिजनों को पांच घंटे तक पुलिस सदर थाना में बंधी बनाया रखा। यह मामला उस समय का है जब जेपी नड्डा एम्स की ओपीडी का शुभारंभ करने के लिए पहुंचे। ऐसे में लुहणू मैदान में जेपी नड्डा के काफिले के आगे परिजनों ने आकर नड्डा के समक्ष अपने बच्चों की मांगे रखी तो वहीं, पुलिस ने अपनी सख्ती रूप अपनाते हुए परिजनों को ही बंधी बनाकर सदर थाना में बंधी बना लिया।
बिलासपुर में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए पहुंचे परिजन दोपहर से शाम तक भूखे-प्यासे थाने में बैठे रहे। परिजनों का आरोप है कि बिलासपुर सदर थाना की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह से हरासमेंट किया है। यहां पर उन्होंने उनको इसीलिए बुलाया कि आपके बयान दर्ज करने हैं कि आपकी मांगें क्या हैं, लेकिन जब वह थाने में गए तो वहां पर उनको पांच घंटे से अधिक समय तक बैठाया रखा। उसके बाद उनसे जबरन उनके बच्चों जो पुलिस में कार्यरत है उनका नाम पता पूछने लगे। ऐसे में परिजनों ने बिलासपुर पुलिस के खिलाफ काफी रोष प्रकट भी किया है।
पुलिस कर्मियों के परिजनों द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस कर्मचारियों के साथ हो रहे शोषण को समाप्त किया जाए और उनकी मांगों को शीघ्र पूरा किया जाए। ज्ञापन में कहा है कि कोविड काल हो या अन्य कोई भी सेवाएं हो, पुलिस दिन-रात ईमानदारी से अपने काम में लगी रहती है, लेकिन पुलिसकर्मियों को उनके काम के अनुसार उचित मानदेय नहीं दिया जाता।
गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश पुलिस के जवानों को 210 प्रति माह राशन मनी मिलती है जबकि पंजाब में 3500 रुपए और सीआरपीएफ को 3600 रुपए राशन मनी है। इसके अलावा लावारिस लाश मिलने पर उसके कफन दफन का खर्च भी आईओ या समाजसेवी लोग करते हैं। पोस्टमार्टम के लिए कोई बजट नहीं, पुलिस जवान या तो अपनी जेब से या फिर किसी से पैसे लेकर लाश को पोस्टमार्टम केंद्र लेकर जाते हैं। यही नहीं पुलिस जवान अपने सब डिवीजन में और एस आई अपने जिला में नियमानुसार तैनात नहीं हो सकते। यानि कम से कम 100 किलोमीटर घर से दूर इनकी तैनाती होगी, ऐसे में संशोधित वेतनमान की मांग उचित ही है।
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