शिमला : हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के नेकराम शर्मा को कृषि क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुना गया है। नेकराम शर्मा जैविक खेती से जुड़े हैं तथा नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं। नौ अनाज एक प्राकृतिक अंतरफसल विधि है जिसमें नौ खाद्यान्न बिना किसी रासायनिक उपयोग के जमीन के एक ही टुकड़े पर उगाए जाते हैं। इससे पानी के उपयोग में 50 फीसदी की कटौती और भूमि की उर्वरता बढ़ती है। उन्होंने अन्य किसानों को भी इस प्रणाली को अपनाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही स्थानीय स्वदेशी बीजों का उत्पादन कर छह राज्यों में 10,000 से अधिक किसानों को बिना किसी शुल्क के वितरित कर रहे हैं।
करसोग के नांज गांव के साधारण परिवार में जन्मे 59 वर्षीय किसान नेक राम ने पारंपरिक अनाज के सरंक्षण और संवर्धन के लिए असाधारण कार्य किया है। यह इनकी लगन का ही नतीजा है कि आज करसोग क्षेत्र में आधुनिकता के दौर में भी पारंपरिक खेती को तवज्जो दी जाती है। पिछले 28 सालों से 10वीं कक्षा तक पढ़े नेकराम ने न केवल पारंपरिक अनाज के बीज को संरक्षित कर इसका दायरा बढ़ाया है, बल्कि एक हजार किसानों का जोड़कर लुप्त हो रहे मोटे अनाज को लेकर जागरूकता की अलख भी जगाई। एक-एक किसान परिवार को जोड़ते हुए नौ अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को बढ़ाया है। नेकराम इन किसानों के माध्यम से पारंपरिक बीज देते और जागरूक करते हैं।
इनका मानना है कि मोटा अनाज पोषण से भरपूर हैं। इनका सरंक्षण भी होना चाहिए और खेती भी। यहां के किसान पारंपरिक तरीके से कई तरह की फसलों की खेती करते थे। इनमें मोटे अनाज (रागी, झंगोरा, कौणी, चीणा आदि), धान, गेहूं, जौ, दालें (गहत, भट्ट, मसूर, लोबिया, राजमा,माश आदि), तिलहन, कम उपयोग वाली फसलें (चैलाई, कुट्टू, ओगला, बथुआ, कद्दू, भंगीरा, जखिया आदि)। लेकिन समय के साथ पारंपरिक बीज भी खत्म होता गया और इन्हें उगाने का तरीका भी बदल गया। नेकराम ने बताया कि उनकी पत्नी, बहू और बेटा काफी मदद करते हैं। नेक राम ने 40 तरह के अनाज का एक अनूठा बीज बैंक बनाया है। इस बीज बैंक में कई ऐसे अनाज हैं, जो विलुप्त होने की कगार पर हैं। नेक राम ने बताया कि दसवीं पास करने के बाद 1984 तक उन्होंने नौकरी के प्रयास किए। लेकिन सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने खेतीबाड़ी शुरू की।