शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक ठगी का मामला सामने आया है। ये मामला
सदर थाना के तहत आया है। जानकारी है कि बैंक कर्मचारियों और आरोपी की मिलीभगत से लॉकर में रखे जेवरात को किसी और को दिया गया। इसको लेकर आशुतोष सूद ने थाना सदर में इसको लेकर शिकायत की है कि उसके लॉकर के जेवरात किसी और को दे दिए गए।
आशुतोष सूद ने पुलिस में शिकायत दर्ज की है कि उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा में वर्ष 1998 में एक लॉकर नंबर 77 लिया था। वर्ष 2017 में उसे बैंक अधिकारियों ने बताया था कि इसके बैंक लॉकर का नंबर 77 से बदलकर 177 कर दिया गया है। वर्ष 2017 के बाद से वह 177 नंबर से ही अपने बैंक लॉकर का संचालन कर रहा था, जबकि वर्ष 2019 के बाद शिकायतकर्ता ने अपने बैंक लॉकर ऑपरेट नहीं किया।
शिकायतकर्ता ने 30 जुलाई को अपने लॉकर को चेक करने गुरुद्वारा सिंह सभा स्थितबैंक ऑफ बड़ौदा गया तो बैंक लॉकर की चाबी नहीं लगी, जब बैंक में अधिकारियों से इसकी चर्चा की गई तो बताया गया कि लॉकर नंबर 177 बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में गुरप्रीत सिंह विरक के नाम से चढ़ा है। गुरप्रीत सिंह ने बैंक अधिकारियों को बतलाया था इसके बैंक लॉकरों की चाबियां गुम हो गई है। जिस पर बैंक अधिकारियों vs गुरप्रीत सिंह के सामने बैंक लॉकर को तोड़ा और लॉकर में रखा सामान गुरप्रीत को दिया तथा गुरूप्रीत बैंक लॉकर में रखा सामान अपने साथ लेकर चला गया।
शिकायतकर्ता आशुतोष सूद का आरोप है कि उक्त लॉकर में रखा सामान उसका था।आशुतोष सूद ने अपने उक्त लॉकर में 50 लाख के गहने रखे थे। आरोप है कि बैंक अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा आशुतोष सूद के बैंक लॉकर में रखे गहनों के लिफाफे को बैंक का लॉकर तोड़कर किसी दूसरे व्यक्ति को दे दिए। पुलिस ने IPC की धारा 409, 420 व 120B के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर ली है।
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