शिमला : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में कर्मचारियों की संयुक्त सलाहकार समिति (जेसीसी) की बैठक के तीसरे दिन सोमवार को भी सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ। एक दिन पहले जहां पुलिस कांस्टेबलों ने मुख्यमंत्री आवास ओकओवर को घेरा, वहीं सोमवार को राज्य सचिवालय के गेट पर भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले कर्मचारियों के करीब 50 संगठनों के हजारों कार्यकर्ता उमड़ आए। कई कर्मचारी संगठन जेसीसी की तर्ज पर मांगों का समाधान करने की मांग कर रहे थे। इसी बीच कर्मचारियों ने राज्य सचिवालय का घेराव करने की कोशिश भी की। पुलिस ने शिमला से संजौली जाने वाली प्रमुख सड़क को लोहे के गेट से बंद कर दिया तो यहां संघ से जुडे़ कामगार गेट को धक्का देकर खोलने लगे। उनका पुलिस जवानों से टकराव हो गया। पुलिस ने भीड़ को अंदर जाने से रोका तो झड़प में संघ के तीन नेता घायल हो गए।
घायल भारतीय मजदूर संघ के महामंत्री यशपाल हेटा को आईजीएमसी में दाखिल करने की नौबत तक आ गई। दो अन्य महिलाओें को भी चोटें आईं। इसके बाद यहां विरोध-प्रदर्शन और भी उग्र हो गया। धरने को उग्र होता देख मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से फोन पर बात की। मुख्यमंत्री मंडी के धर्मपुर में थे। मुख्यमंत्री ने इन नेताओं के प्रतिनिधिमंडल से बातचीत करने को कहा तो सात प्रतिनिधि मुख्य सचिव से मिलने सचिवालय बुलाए गए। कुछ देर तक बाहर खड़े रहे संघ के इन नेताओं ने मुख्य सचिव के कक्ष में जल्दी नहीं बुलाने पर भीतर ही नारेबाजी शुरू कर दी। फिर मुख्य सचिव ने इन्हें दोबारा बुलाया। बाहर सरकार के खिलाफ भाषण और नारेबाजी चलती रही। मुख्य सचिव ने संघ से जुडे़ मजदूर नेताओं के समर्थन में समिति कक्ष में लंबी बातचीत की।
प्रदर्शनकारियों ने विभिन्न मांगों को नहीं मानने और लाठीचार्ज से मजदूरों की आवाज कुचलने के आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। वहीं, धरना-प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कुछ देर के लिए टॉलैंड-संजौली मुख्य मार्ग का गेट बंद कर आवाजाही रोक दी, जिससे जाम लग गया। कार्यकर्ताओं ने चौड़ा मैदान से लिफ्ट बाया हिमलैंड और टॉलैंड से छोटा शिमला तक रैली निकाली। सैकड़ों कार्यकर्ताओं को लिफ्ट के पास रोक दिया गया, वे सचिवालय नहीं पहुंच पाए। इस विरोध-प्रदर्शन के बीच शिमला में सर्कुलर रोड के एक हिस्से से वाहनों की आवाजाही करीब ढाई घंटे तक बाधित रही। अपना विरोध दर्ज करने के लिए प्रदेश भर से मजदूर संघ के कार्यकर्ता 12 बजे के बाद यहां जुटने शुरू हो गए थे। यहां पौने पांच बजे तक प्रदर्शन होता रहा।
श्रमिक प्रतिनिधियों ने सरकार से बातचीत हो जाने की सूचना दी तो पौने पांच बजे प्रदर्शनकारियों ने घरों का रुख किया। मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने कहा कि भारतीय मजदूर संघ के प्रदेशाध्यक्ष मदन राणा और अन्य प्रतिनिधियों ने खुले मन से बात की। उन्होंने कहा कि चार-पांच बड़ी मांगों पर बात हुई है। सरकार की कई सीमाएं हैं। इस बारे मेें सोच-समझकर निर्णय होगा। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एक-दो सप्ताह में इनसे बात करेंगे।
ये हैं कर्मचारियों की मांगें
आशा वर्करों, आंगनबाड़ी, आउटसोर्स, सिलाई-कढ़ाई कर्मचारी चाह रहे हैं कि उन्हें सरकार के नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर वित्तीय लाभ दिए जाएं। बोर्डों-निगमों के कर्मचारी भी विभागीय मुलाजिमों की तरह वेतन, भत्तों और पेंशन के लाभ मांग रहे हैं। निजी क्षेत्र के कर्मचारी वेज बोर्ड की शर्तों को ठीक से लागू करवाने के लिए अड़े हैं।