कहानी रचना की दृष्टि से बहुत समय और धैर्य मांगती है : गीताश्री
शिमला : वरिष्ठ पत्रकार एवं कथाकार सुश्री गीताश्री द्वारा ‘वागीशा’ कथा संचयन का विमोचन हिमाचल प्रदेश भाषा, कला एवं संस्कृति अकादमी के सौजन्य शिमला में किया गया। रोटरी टाउन हाल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. उषा बंदे (पूर्व अध्येता भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान) विशिष्ट अतिथि रहीं। इस सुअवसर पर हिमाचल के स्थापित कथाकार लेखक एसआर हरनोट, हिमाचल के वरिष्ठ लेखक समीक्षक श्रीनिवास जोशी उपस्थित रहे।पुस्तक की संपादक भारती कुठियाला ने इस पुस्तक द्वारा हिमाचल की महिला लेखिकाओं को एक मंच प्रदान कर साहित्य के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित किया है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पत्रकार एवं साहित्यकार गीताश्री ने कहा कि कहानी रचना की दृष्टि से बहुत समय और धैर्य मांगती है। हर घटना और हर रिपोर्टिंग कहानी नहीं है। इसी के साथ उन्होंने संपादक भारती कुठियाला जी के प्रयास की सराहना करते हुए उनकी पुस्तक को राष्ट्रीय स्तर पर मंच देने की घोषणा की।वहीं हिमाचली महिला कथाकारों में नवोदित कथाकारों को संदेश देते हुए पंजाब विश्वविद्यालय की डॉ. योजना रावत ने कहा कि रचना में ताप और ललकार जरूरी है।उन्होंने विभिन्न कहानियों की चर्चा करते हुए लेखन विधि की विविधता पर अधिक जोर दिया।
इस दौरान डॉ. कुँवर दिनेश सिंह ने वागीशा कथा संचयन की 22 कहानियों पर विस्तृत चर्चा की । डॉ. हेमराज कौशिक ने भी प्रत्येक कहानी पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए इस प्रयास को आगे ले जाने की अपील सभी महिला कथाकारों से की। डॉ. मीनाक्षी पाल द्वारा संग्रह से उषा बंदे की स्पेनिश मॉस, रेखा वशिष्ठ की कहानी ‘उसका सच’ सुदर्शन पटियाला की कहानी मोहभंग विशेष रूप से पसंद की गई।उन्होंने महिला कथाकारों को निरंतर कोशिश से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने की इच्छा व्यक्त करते हुए पुस्तक के विभिन्न भावों पर अपने विचार व्यक्त किये।कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यिक वर्ग ने भारती जी के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि यह हिमाचल प्रदेश में इस तरह का पहला प्रयास है और वो आगे भी इस तरह के प्रयास देखने की उम्मीद करते हैं।कार्यक्रम में मंच संचालन साक्षी शर्मा और अभिषेक त्यागी ने किया।