शिमला : सीटू से सबन्धित हिमाचल प्रदेश मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन अपनी मांगों को लेकर दो दिसम्बर को प्रदेशव्यापी हड़ताल करेगी। इस दिन प्रदेशभर में निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं, फोरलेन, दीपक प्रोजेक्ट, मनरेगा व निर्माण क्षेत्र के हज़ारों मजदूर हड़ताल करके काम ठप्प करेंगे। इस दौरान यूनियन शिमला में श्रमिक कल्याण बोर्ड कार्यालय खलीनी में विशाल रैली करेगी जिसमें प्रदेशभर से हज़ारों मनरेगा व निर्माण कर्मी भाग लेंगे। सीटू ने चेताया है कि अगर प्रदेश सरकार व श्रमिक कल्याण बोर्ड ने मजदूरों की मांगों को पूर्ण न किया तो आंदोलन तेज होगा।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,महासचिव प्रेम गौतम,यूनियन अध्यक्ष जोगिंदर कुमार व महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकारें लगातार मज़दूर विरोधी नीतियां लागू कर रही हैं। मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को निरस्त करना भी इसी का एक हिस्सा है। चार लेबर कोडों में निरस्त किये जाने वाले कानूनों में वर्ष 1996 में बना भवन एवम अन्य सन्निर्माण कामगार कानून भी शामिल है। इस कानून के खत्म होने से देश के करोड़ों मनरेगा व निर्माण मजदूर सामाजिक सुरक्षा के दायरे से बाहर हो जाएंगे व श्रमिक कल्याण बोर्डों के अस्तित्व पर खतरा मंडराएगा। केंद्र व प्रदेश सरकार पहले ही मार्च 2021 में श्रमिक कल्याण बोर्डों के तहत मनरेगा व निर्माण मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं में भारी कटौती कर दी गयी है। इसमें वाशिंग मशीन,सोलर लैम्प,इंडक्शन चूल्हा,टिफिन इत्यादि शामिल है। श्रमिक कल्याण बोर्डों की धनराशि को प्रधानमंत्री कोष में शिफ्ट करने की साज़िश चल रही है जिसका दुरुपयोग होना तय है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में सरकार की लापरवाही के कारण मनरेगा व निर्माण मजदूरों सहित लगभग इक्कीस लाख असंगठित व प्रवासी मजदूरों का माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश पर ई श्रम पोर्टल में पंजीकरण भी अधर में लटका हुआ है। इस से ही स्पष्ट है कि सरकार मजदूरों के प्रति संवेदनहीन है। मनरेगा मजदूरों को प्रदेश सरकार द्वारा तय तीन सौ रुपये न्यूनतम वेतन भी नहीं दिया जा रहा है व यह कई राज्यों के मुकाबले में बेहद कम है। उनके वेतन का भुगतान तय समय पर नहीं किया जा रहा है। उन्हें निर्धारित एक सौ बीस दिन का काम भी नहीं दिया जा रहा है। महंगाई चरम पर है जिसके कारण मज़दूरों को और ज़्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तथा उन्हें अपना दैनिक खर्चा करना बहुत मुशिकल हो गया है। इस प्रकार सरकार मनरेगा मजदूरों के साथ घोर अन्याय व भेदभाव कर रही है। हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड पंजीकृत मजदूरों के लाभ समय पर जारी नहीं कर रहा है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश श्रमिक कल्याण बोर्ड पर मजदूरों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उन्होंने मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी तीन सौ रुपये करने,एक सौ बीस दिन का काम सुनिश्चित करने,मजदूरों का पंजीकरण सरल व एक समान करने,मजदूरों को स्वीकृत सामग्री तुरन्त जारी करने,बोर्ड से मिलने वाली सहायता सामग्री बहाल करने,शिक्षण छात्रवृत्ति,विवाह,चिकित्सा इत्यादि की लंबित सहायता राशि जारी करने,मजदूरों की पेंशन दो हज़ार रुपये करने,जिलों में मजदूरों के पंजीकरण हेतु अतिरिक्त स्टाफ व श्रम कल्याण अधिकारी नियुक्त करने व लॉक डाउन अवधि की राशि सभी को तुरन्त जारी करने की मांग की।