शिमला : नगर निगम शिमला के चुनाव के लिए पांच वार्डों के पुनर्सीमांकन पर रोक लगा दी है। सिम्मी नंदा और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश पारित किए हैं। न्यायालय ने 16 अगस्त तक राज्य सरकार, मंडलीय आयुक्त, उपायुक्त शिमला और राज्य चुनाव आयोग से जवाब-तलब किया है। याचिका में कहा है कि नाभा, फागली, टुटीकंडी, समरहिल और बालूगंज वार्डों का पुनर्सीमांकन मनमाने तरीके से किया है।
फागली और टुटीकंडी वार्डों के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए नाभा वार्ड के क्षेत्र को कम कर दिया है। पहले की अपेक्षा अब नाभा वार्ड आधा रह गया। फागली वार्ड को इतना बड़ा कर दिया कि नगर निगम के सभी वार्डों की अपेक्षा फागली वार्ड का क्षेत्र अधिक हो गया। इसके अलावा बालूगंज वार्ड का वह क्षेत्र भी समरहिल में मिला दिया जोकि बालूगंज के नाम से ही जाना जाता है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से इन वार्डों का पुनर्सीमांकन किया है जोकि कानून की दृष्टि से गलत है। प्रार्थी ने 24 जून 2022 व 8 जुलाई 2022 को मंडलीय आयुक्त शिमला और उपायुक्त शिमला द्वारा पारित आदेशों को रद्द करने की न्यायालय से गुहार लगाई है।
उल्लेखनीय है कि बीते मार्च में जयराम सरकार ने शिमला नगर निगम में सात नए वार्ड बनाए हैं। शिमला में अब वार्डों की संख्या 34 से बढ़कर 41 हो गई है। नए वार्ड बनाने के साथ कुछ पुराने वार्डों की सीमाएं भी बदली गई हैं। समरहिल और नाभा वार्ड के डिलिमिटेशन को दो प्रार्थियों ने अदालत में चुनौती दी थी। प्रार्थी का आरोप था कि राजनीतिक लाभ के लिए उनके वार्डों के कई इलाके दूसरे वार्ड में शामिल किए गए हैं।
उनकी अपील पर लंबे समय तक अदालत में सुनवाई हुई, लेकिन कुछ दिन पहले DC ने इनकी आपत्तियां खारिज कर दीं। इसके बाद फिर से प्रार्थी पार्षद सिमी नंदा और राजीव ठाकुर ने काेर्ट का दरवाजा खटखटाया। ऐसे में अब काेर्ट ने निर्देश दिए हैं कि जिला प्रशासन काे नाभा और समरहिल वार्ड की आपत्ति एवं सुझाव को दोबारा सुनना होगा।









