शिमला शिमला के परिमहल में ‘आपदा में स्कूल सुरक्षा’; विषय पर 5 दिवस्सीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। विज्ञान प्रसार, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और राज्य संसाधन केंद्र शिमला के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्कूल अध्यापकों को आपदा के समय उससे होने वाले नुकसानों को कम करने या बचाव के तरीकों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए राज्य संसाधन केंद्र के निदाशक डॉ. : ओम प्रकाश भूरेटा ने कहा कि हिमाचल का अधिकतर हिस्सा आपदा संवेदी क्षेत्र है इसलिए यहां न केवल स्कूलों को बल्कि समुदाय को भी आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित और तैयार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि साक्षरता अभियान में काम करने का अनुभव बताता है कि समुदाय की भागीदारी के बगैर कोई भी अभियान या सामुदायिक काम संभव नहीं है।
कार्यक्रम के महत्व और आवश्यकता पर बात रखते हुए विज्ञान प्रसार की परियोजना अधिकारी डॉ. इरफाना बेगम ने कहा कि आमतौर पर आपदा प्रबंधन के बारे में को किताबों में पढ़ाया जाता है या बताया जाता है, व्यावहारिकता उससे बहुत अलग होती है। इसलिए प्रशिक्षण में कुछ व्यवहारिक समस्याओं पर और अनुभवों पर भी बात करना ज़रूरी है। डॉ. इरफाना ने कहा कि आपदा के सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक, पर्यावरणीय पहलू हैं। अगले 5 दिनों में इन सभी विषयों पर चर्चा की जाएगी।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से आए प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण समन्वयक नितिन शर्मा ने हिमाचल में आपदा की स्थिति के बारे में प्रतिभागियों को अवगत करवाते हुए कहा कि पिछले 5 वर्षों में प्रदेश में अपदाओं के कारण 10 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। प्रदेश में भूकंप, बाढ़, सूखा के अलावा बादल फटने, भूस्खलन, हिमस्खलन, सड़क दुर्घटनाएं और आसमानी बिजली भी आपदाओं में शामिल हैं जिनसे जान-माल का नुकसान होता है। शर्मा ने जलवायु परिवर्तन को भी आपदा के कारणों में शामिल किया। जलवायु परिवर्तन के कारण हिमस्खलन और असमय और एक साथ अधिक बारिश की घटनाएं और संभावनाएं बढ़ी हैं।
शर्मा ने जानकारी दी कि जल्दी ही स्कूल सुरक्षा ऐप की शुरुआत की जा रही है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान से आई कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अजेंदर वालिया ने आपदा प्रबंधन की अवधारणाओं पर बात की। उन्होंने कहा कि आपदा प्राकृतिक नहीं है। आपदा कह कर हम समस्या और जवाबदेही से बचना चाहते हैं। हम खतरे को नज़रंदाज़ करके उसे आपदा बना देते हैं। डॉ. अजेंदर ने कहा कि हमें आपदा के साथ–साथ अक्सर पर होने वाली छोटी -छोटी आपदाओं की तैयारियां भी करनी चाहिए। डॉ. अजेंदर ने आपदा के बाद किए जाने वाले कार्यों के बारे में भी चर्चा की।
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम करने वाली सामाजिक संस्था डूअर्स के कार्यक्रम निदेशक नवनीत डोगरा ने आपदा प्रबंधन की बारीकियों और तैयारी पर विस्तृत चर्चा की।
प्रशिक्षण के अंत में प्रतिभागियों और स्रोत व्यक्तियों की चर्चा से निकले बिंदुओं, सुझावों और अनुशंसाओं को सरकार के लिए भी भेजा जाएगा।
जीयानन्द शर्मा