शिमला : हिमाचल प्रदेश के संयुक्त किसान मंच ने अब हिमाचल प्रदेश में दिल्ली जैसा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है। मंच के राज्य संयोजक हरीश चौहान और सह संयोजक संजय चौहान ने ने कहा कि प्रदेश के किसानों और बागवानों की मांगों को लेकर सरकार को 23 अगस्त, 13 सितंबर और 26 सितंबर को ज्ञापन सौंपे गए हैं, लेकिन सरकार ने अब तक उस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। और न ही बैठक के लिए बुलाया है। हरीश और संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश में पौने तीन लाख कर्मचारी हैं। लेकिन सरकार उनके साथ जेसीसी की बैठकर करने जा रही है लेकिन 70 फीसदी कृषकों और बागवानों को अनदेखा कर रही है।
हरीश चौहान ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री ने किसान मंच के साथ बैठक नहीं की तो दिल्ली की तर्ज पर हिमाचल में भी बड़ा आंदोलन होगा। साथ ही एलान किया भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर शीतकालीन सत्र में विधानसभा का घेराव किया जाएगा। 14 दिसंबर को भू अधिग्रहण के बैनर तले धर्मशाला में तपोवन में घेराव किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसान आंदोलन में हिमाचल से भी भारी संख्या में किसान और बागवानों ने हिस्सा लिया और खुद भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन किसानों की जीत है। मंच ने प्रधानमंत्री से सवाल पूछा कि जब कानून वापस ही लेने थे तो देरी क्यों की। लगभग 700 किसानों की शहादत का जवाब कौन देगा। मंच ने कहा कि सरकार एक देश एक विधान की बात कहती है तो एक देश अलग- अलग नियम क्यों हैं. जम्मू कश्मीर में एमआईएस के तहत ए ग्रेड सेब 60 रुपए प्रति किलो बिकता है, जबकि हिमाचल में रेट बहुत कम हैं।
संयुक्त किसान मंच की ये हैं मांगे :
- प्रदेश में अदानी व अन्य कंपनियों द्वारा किसानों के शोषण पर रोक लगे।
- कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना के तहत नैफेड 60, 44 व 24 रुपये किलो समर्थन मूल्य पर खरीद करें।
- प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को निरस्त किया जाए।
- मंडियों में खुली बोली लगाई जाए और मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डीडी व अन्य चार्ज तुरंत समाप्त किए जाए।
- किसानों को आढ़तियों व खरीदारों से बकाया राशि का भुगतान तुरंत करवाया जाए और किसानों को जिस दिन उत्पाद बिके उसी दिन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
- बकाया भुगतान न करने वाले खरीदारों व आढ़तियों के विरुद्ध कड़ी कानूनी र्कावाई की जाए।
- कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई वृद्धि कम की जाए।
- ओलावृष्टि, बारिश, बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान का सरकार मुआवजा दे।
- खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक आदि पर सब्सिडी दी जाए।