शिमला : प्रदेश विधानसभा में आज आउटसोर्स कर्मचारियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मिलने के लिए आज प्रदेश के सभी क्षेत्रों से भारी संख्या में आउटसोर्स कर्मचारी पहुंचे। आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के बैनर तले पहुंचे इन कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को हिमाचल प्रदेश में विभिन्न विभागों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाने बारे एक मांग पत्र
भी सौंपा।
ये कर्मचारी आज सुबह से ही ए. जी. चौक पर एकत्रित होने शुरू हो गए थे तथा एक विशाल जनसमूह के रूप में विधानसभा पहुंचे। यहां पर मुख्यमंत्री ने इनसे मुलाकात की इन्हें सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने इन्हें पॉलिसी बनाने का आश्वासन दिया।
ये है मुख्यमंत्री को सौंपा गया मांगपत्र :-
महोदय,
सर्वप्रथम हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ पूरे हिमाचल में कार्यरत सभी आउटसोर्स कर्मचारियों की तरफ से आपको अपना कीमती समय प्रदान करने के लिए हार्दिक धन्यवाद करते हैं तथा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थायी नीति बनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का दिल की गहराइयों से अभिनंदन करते हैं।
महोदय, जैसा कि आपको ज्ञात है कि हिमाचल प्रदेश के सभी डिपार्टमेंट / बोडौं/ निगमों में कार्य कर रहे हज़ारों आउटसोर्स कर्मचारी सालों से चल रही इस शोषणकारी नीति का शिकार हो रहे हैं। इस प्रकार की नीति से बेशक किसी भी सरकार का वित्तीय बोझ कम होता है किंतु वहीं न सिर्फ ये बोझ सीधा प्रदेश के हज़ारों नागरिकों / युवाओं तथा उनके परिवारों पर पड़ता है और नौकरी की सुरक्षा न होने के कारण उनके भविष्य के साथ | खिलवाड़ का कारण भी बनता है। हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ समय-समय पर हजारों आउटसोर्स कर्मियों की मांग तथा सुझावों को सरकार के समक्ष तथा सरकार द्वारा गठित मन्त्रीमंडल की उप समिति के समक्ष रखता आया है ।
महोदय, जैसा की आपके अभूतपूर्व प्रयास के चलते आज आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति | निर्धारण के तहत मन्त्रीमंडल उप समिति का गठन हुआ है तथा इसके चलते हिमाचल प्रदेश विधान सभा में चल रहे सत्र में उप समिति के अध्यक्ष माननीय मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर ने स्वीकार किया है कि प्रदेश सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नीति लाने जा रही है तथा इसे बल देते हुए आपने भी ये आश्वस्त किया है कि सरकार जल्द ही नीति लाने जा रही है। इसी विश्वास के चलते हमारी पिछले मांग सह सुझाव पत्र के क्रम में
आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ निम्नलिखित आवश्यक / ज़रूरी विषयों / मांगों को आप के संज्ञान में लाना चाहता हूँ. (क) सरकार द्वारा गठित मन्त्रीमंडल उप समिति एक तय समय सीमा के तहत बनाई जा रही नीति को लाये तथा सरकार द्वारा इसे जल्द से जल्द लागू किया जाए।
- केंद्र से सीमित समय के लिए प्रायोजित / सहायता प्राप्त परियोजनाओं / Flagship स्कीमों में कार्य कर रहे हिमाचल के कर्मचारियों को निजी कंपनियों से छुटकारा दिलाते हुए सीधा प्रोजेक्ट में सम्मिलित किया जाए तथा केंद्र सरकार की तर्ज पर मानदेय तथा अन्य लाभ परियोजना के चलने तक दिए जाएं। यदि वह परियोजना बंद हो जाए तो दूसरी योजनाओं में उन्हें वरीयता दी जाए।
- महोदय राज्य परियोजनाओं में कार्य कर रहे वह कर्मचारी जो सरकार की ऐसी योजनाओं में ठेकेदारों माध्यम से कार्य कर रहे हैं जो सालों से निरंतर चली आ रही है तथा राज्य सरकार की तरफ से जनता को दी जा रही आम सुविधाओं वाली ऐसी योजनाएं फिर चाहे वह जल शक्ति विभाग की हो, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग की या किसी अन्य की यह भविष्य में भी चलती रहेगी तथा कहीं ना कहीं हिमाचल प्रदेश के हर घर से जुड़ी है इस को ध्यान में रखते हुए उन कर्मचारियों को भी इस ठेकेदारी प्रथा से छुटकारा दिलाते हुए एक तय समय सीमा के तहत संबंधित विभाग में समायोजित किया जाए।
- महोदय राज्य सरकार की ऐसी परियोजनाएं जो कि एक समय अवधि के लिए एक तय बजट के आधार पर चल रही है उनमें काम कर रहे प्रदेश के कर्मचारियों को एक सम्मानजनक वेतन देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित किया जाए कि जब वह परियोजना खत्म हो जाए तो उन कर्मचारियों को राज्य सरकार की चल रही किसी और परियोजना में नियुक्त किया जाए ताकि उन कर्मचारियों के लिए भी नौकरी की सुरक्षा का एक एहसास रहे।
महोदय ऊपर दिए गए सुझावों से ना सिर्फ प्रदेश के हजारों कर्मचारियों तथा उनके परिवारों को लाभ मिलेगा बल्कि एक समय सीमा होने की वजह से सरकार पर वित्तीय बोझ भी कम पड़ेगा। महोदय हिमाचल सरकार का ये फैसला हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा एवं प्रदेश के लगभग 40000 परिवार सरकार के साथ खड़े होंगे।