प्रदेश का पेंशन विहीन कर्मचारी मजबूर से कई गुना ज्यादा मजबूत भी है।
नई पेंशन योजना कर्मचारी महासंघ जिला मंडी ने पुरानी पेंशन बहाली नियम 1972 को लागू करवाने के लिए अपनी आगामी आंदोलन की रूपरेखा जारी की। जिला अध्यक्ष लेखराज ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के कर्मचारी पिछले 13- 14 वर्षों से अपनी एकमात्र मांग रूल 1972 ओ पी एस को पुनः लागू करवाने को प्रयासरत है, परंतु प्रदेश में अलग-अलग समय में रही विभिन्न दलों की सरकारों ने इसमें गंभीरता नहीं दिखाई।
पूरे प्रदेश का कर्मचारी आज निराश और हताश है जो कर्मचारी अपने जीवन का सुनहरा काल सरकारी सेवा में लगाता है उसे अपने जीवन के अंत में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है, परंतु सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती सरकार निजी हाथों को मजबूत करने के लिए दिन-ब-दिन कर्मचारियों के हितों को बचाने के लिए आतुर रहती है।
कंपनियों के हाथों में कर्मचारीयों की गाढ़ी कमाई को सौंपकर सरकारें उसका लाभ दिलवाने में लाखों रुपए खर्च कर रही है परंतु जो कर्मचारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद हालात है उसे अनदेखा कर रही है। एक तरफ कल्याणकारी राज्य की हामी भरने वाली सरकारी मात्र बड़े घरानों के कल्याण तक सीमित है, सरकार में बैठे राजनीतिक नेता अपने लिए हर अवधि 5 वर्ष के लिए पेंशन ले रहे हैं परंतु कर्मचारियों के लिए सट्टा बाजार खोल दिया है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार नई पेंशन स्कीम कर्मचारी के तहत कर्मचारियों व नियोक्ता 10% व 14% शेयर सालाना दोगुना खर्च है जितना पुरानी पेंशन प्रणाली रूल 1972 देने पर खर्च होगा परंतु ना जाने क्यों यह आंकड़े सत्ता के नशे में चूर लोगों को नहीं दिखते।
उन्होंने बताया कि सरकारों के साथ बार-बार बात रखने के बाद सरकार की तरफ से कोई भी सकारात्मक उत्तर नहीं आया।
अतः अब प्रदेश का कर्मचारी पुनः अपना हक पाने के लिए अपने आंदोलन को तेज कर अपनी जायज मांग को हर परिस्थितियों में पूरा करवाएगा।
इसी तर्ज पर नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश द्वारा शिमला में चल रहे क्रमिक अनशन का समर्थन करते हुए जिला मंडी 1 सितंबर 2022 से जिला मुख्यालय मंडी में भी क्रमिक अनशन शुरु करेगा। जिला मंडी में 1 सितंबर 2022 को पूरे जिले में प्रत्येक सरकारी कार्यालय में एनपीएस कर्मचारी गेट मीटिंग कर सरकार की इस गलत योजना का विरोध करेंगे और अपनी पुरानी पेंशन प्रणाली नियम 1972 की जोरदार तरीके से मांग करेंगे। उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश इसमें कोई दो राय नहीं कि आज हिमाचल प्रदेश का पेंशन विहीन कर्मचारी मजबूर है परंतु नई पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ हिमाचल प्रदेश के बैनर तले मजबूर से कई गुना ज्यादा मजबूत भी है तथा सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर एनपीएस लागू करने का आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं परंतु जब कानून प्रदेश में लागू हुआ तो तत्कालीन विधानसभा में सभी ने एनपीएस योजना का समर्थन किया था। कर्मचारी बार-बार सरकार विपक्ष राजनीतिक दलों को एनपीएस की खामियां तथा इसके नतीजे बार बार बता चुके हैं। अब उग्र आंदोलन की तरफ बढ़ रहे हैं जो सरकार, प्रदेश और कर्मचारियों के लिए घातक है परंतु तिल तिल कर मरने से आर-पार की लड़ाई लड़कर मरना कर्मचारी बेहतर समझेंगे अतः पुनः सभी से आग्रह है कि पुरानी पेंशन पर राजनीतिक व व्यक्तिगत स्वार्थों से ऊपर उठकर कार्य करने की आवश्यकता है सरकार तुरंत प्रभाव से नई पेंशन एनपीएस रूपी काले कानून को वापस लेकर नियम 1972 को बहाल करें।