शिमला: हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में शिमला में आयोजित कांग्रेस विधायक दल की बैठक में एक राय नहीं हो पाने से सभी विधायकों ने गेंद हाईकमान के पाले में डाल दी है। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने शुक्रवार देर रात कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। बैठक में फैसला लिया है कि हाईकमान जो भी फैसला लेगी उस पर अमल किया जाएगा. एक सिंगल लाइन एजेंडा इस बैठक में लाया गया, जिस का प्रस्ताव नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने रखा और प्रचार कमेटी के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसका समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि पार्टी के पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट हाईकमान के समक्ष शनिवार को रखेगे और हाईकमान इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। इससे हिमाचल के विधायकों को अवगत करा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिमाचल के विधायकों को दिल्ली जाने की जरूरत नहीं है ना ही उन्हें दिल्ली जाने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी किसी के लिए लॉबिंग नहीं कर रहा है, विधायकों की राय जान ली है।
हाईकमान पर सभी विधायकों ने इस फैसले को छोड़ा है और जो फैसला हाईकमान लेकर सभी विधायकों को मंजूर होगा। राजीव शुक्ला ने कहा कि दिन में राज्यपाल से जो मुलाकात हुई थी, वह एक औपचारिक भेंट थी। उन्हें बताया गया कि कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिला है। पार्टी अपने विधायक दल के नेता को चुनकर शीघ्र राजभवन को अवगत करा देगी। इसके बाद हिमाचल में सरकार का गठन कर दिया।
हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजों में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला है। 68 विधानसभा वाले हिमाचल में कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि 25 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है। वहीं 3 सीटें निर्दलीयों के खाते में गई है। 1985 के बाद से हिमाचल में कोई भी पार्टी सरकार रिपीट नहीं कर पाई है, हर चुनाव के बाद हिमाचल में सत्ता कांग्रेस और बीजेपी के पास आती जाती रही है। लेकिन इस बार बीजेपी ने दावा किया था कि वो इस रिवाज़ को तोड़ेगी लेकिन कांग्रेस ने जीत हासिल कर इस रिवाज को बरकरार रखा है।
उधर चुनाव में विजय पताका फहराने वाली कांग्रेस के लिए विधायक दल का नेता चुनना कठिन हो रहा है। उधर, सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया के समक्ष बयान दिया है कि वे सीएम की रेस में नहीं हैं। वे कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं और हाईकमान का आदेश मानेंगे। लेकिन राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि कुछ बयान महज देने के लिए होते हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ विधायकों का समर्थन है। वे चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रहे हैं। पूर्व में कांग्रेस पार्टी की कमान संभाल चुके हैं उनके अधिकांश समर्थक चुनाव जीत कर आए हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत है। अन्य प्रमुख दावेदार नेता प्रतिपक्ष रहे मुकेश अग्निहोत्री हैं।
पांच साल विपक्ष में रहते हुए उन्होंने जयराम सरकार की नाक में दम करके रखा था। विधानसभा के भीतर और बाहर उन्होंने भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं रखी थी। उनके पास कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में काम करने का अनुभव भी है। सीपीएस से लेकर कैबिनेट मंत्री और पांच बार चुनाव जीत कर आए मुकेश की दावेदारी को खारिज करना इतना आसान नहीं है। प्रतिभा सिंह ने स्पष्ट बयान दिया है कि इस चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम और काम को प्रमुखता से जनता के सामने रखा गया था। ऐसा नहीं हो सकता कि जिसके नाम और काम पर चुनाव लड़ा हो, उनसे संबंधित लोगों को इग्नोर किया जाए। ये स्पष्ट संकेत है कि वीरभद्र सिंह परिवार को नेगलेक्ट करना आसान नहीं है। वे इसका विरोध करेंगे। प्रतिभा सिंह अगर सीएम पद के लिए चुनी जाती हैं तो छह माह के भीतर दो उपचुनाव होंगे। मंडी में लोकसभा का और हिमाचल में प्रतिभा सिंह को किसी सीट से चुनाव जीतना होगा। मंडी में कांग्रेस की लुटिया डूबी है। ऐसे में उपचुनाव का रिस्क आसान नहीं है, फिर प्रतिभा सिंह के पास भी सरकार में कोई पद संभालने का अनुभव नहीं है।
ऐसे में कांग्रेस के पास एक ही रास्ता बचता है और वो है हाईकमान यानी सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी व राहुल गांधी के निर्देश। हाईकमान को भी संतुलन बनाना आसान नहीं होगा। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में बाहर प्रतिभा सिंह के समर्थन में सबसे अधिक नारे लगे। राजीव भवन में हुई बैठक में भूपेश बघेल, भूपेंद्र हुडा, राजीव शुक्ला व हिमाचल कांग्रेस के नेता मौजूद रहे।
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