हिमाचल प्रदेश ने आज अपने अस्तित्व के 74 वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिए हैं I देश की आजादी से ठीक 8 माह बाद 15 अप्रैल 1948 को यह खूबसूरत पहाड़ी प्रदेश 30 छोटी बड़ी पहाड़ी रियासतों के विलय से केंद्र शासित चीफ कमिश्नर प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया था I गठन से पूर्व की बात करें तो इस पहाड़ी प्रदेश में विकास नाम मात्र था I परंतु आज शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश केरल राज्य के बाद कई वर्षों से दूसरे स्थान पर बना हुआ है हिमाचल प्रदेश का लक्ष्य शिक्षा के क्षेत्र में केरल से आगे निकलने का है हिमाचल प्रदेश की साक्षरता दर 82.80 जबकि शिक्षण संस्थान 16067 है आधुनिक डिजिटल शिक्षा के तहत हर घर पाठशाला के द्वारा बच्चों को गुणात्मक शिक्षा दी जा रही है युवा पीढ़ी को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सक्षम बनाने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया गया है शिक्षा को व्यवसायिक ता के साथ जोड़कर स्कूलों में शिक्षा दी जा रही है I हिमाचल प्रदेश में 1000 से अधिक स्कूलों को 15 सेक्टर में बांट कर बच्चों को रिटेल टेलीकॉम आईटीआई होम फाइनेंस इन पर्यटन अमित या सत्कार सहित 18 क्षेत्रों में व्यवसायिक शिक्षा प्रदान की जा रही है पहाड़ों से बहने वाला निर्मल पानी उत्तर भारत की प्यास बुझाता है I इसके अलावा पड़ोसी राज्यों में उजाला प्रदान करता है I विकास की गाथा में बिलासपुर का अखिल भारतीय आयुर्वेद या आयुर्विज्ञान संस्थान भी जुड़ गया है हिमाचल प्रदेश ऊर्जा राज्य और अब औद्योगिक केंद्र के तौर पर भी उभरकर सामने आ रहा है सड़कें किसी भी राज्य की भाग्य रेखाएं होती हैं प्रदेश में सड़कों को गांव तक पहुंचाया जा रहा हैI अब तक 40000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है राज्य मुख्यालय शिमला को जोड़ने के लिए फोरलेन का निर्माण किया जा रहा है विश्व विख्यात पर्यटन स्थल मनाली तक फोरलेन शीघ्र पहुंचने वाला है पहाड़ के लोग प्रधानमंत्री सड़क परियोजना के तहत गांव तक पहुंची सड़कों को वरदान मानते हैं तीसरे चरण में प्रधानमंत्री सड़क ग्राम योजना के तहत सड़कों का निर्माण शुरू होने वाला है हिमाचल प्रदेश के मेहनती व ईमानदार लोगों ने इन चुनौतियों का सामना करते हुए हिमाचल को एक खुशहाल राज्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है आधुनिकता की होड़ में भी पहाड़ी आंचल में संस्कृति रची बसी हुई है देव भूमि हिमाचल प्रदेश के लोग त्योहार लोक नृत्य लोक गायन व वेशभूषा से संस्कृति को साथ लेकर आगे चल रहे हैं हिमाचल प्रदेश को हिंदी भाषी होने का गर्व है लेकिन गांव के लोग स्थानीय बोली में शहद से रहते हैं यही वजह है कि यहां सांस्कृतिक विभिन्नता की एक इंद्रधनुषी सी रंगत देखने को मिलती है हर क्षेत्र में देव मिलन मेले आस्था का अटूट हिस्सा है हिमाचल को दिव्य भूमि कहलाने का गौरव प्राप्त है देव भूमि हिमाचल में आत्म अभिव्यक्ति को प्रकट करने के लिए विभिन्न बोलियां बोली जाती हैं यहां की लोक संस्कृति लोक कलाएं और संस्कार जन-जन में रचे बसे हैं यहां की देव भूमि हिमाचल में मानवीय मूल्यों के निर्वहन के लिए सन 1973 में भाषा एवं संस्कृति विभाग की स्थापना की गई तभी से भाषा एवं संस्कृति विभाग साहित्य सांस्कृतिक पुरातत्व अभिलेखागार और संग्रहालय के क्षेत्र में सतत प्रगतिशील है पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में अब तक के सफर में पहाड़ सा हौसला दिखाकर कई चुनौतियों को मांगते हुए विकास की इबारत लिखी पर्वतीय क्षेत्रों में हिमाचल छोटा सा पहाड़ी प्रदेश विकास के माडल के रूप में उभरकर सामने आया है जो प्रत्येक हिमाचली के लिए गर्व की बात है। भविष्य में इस सफर को आगे प्रगति के पथ पर बढ़ते जाने के लिए और विकासात्मक परियोजनाएं प्रदेश में आरंभ करके एक नया इतिहास व विकास की गाथा इस पहाड़ी क्षेत्र के स्वर्णिम अध्याय में जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित कर के प्रयास करना होगा I
लेखक : सुभाष चंद सोनी,
शारीरिक शिक्षक, राजकीय मध्यमिक पाठशाला हरिनगर









