शिमला : अपने जहन में गौ सेवा का जुनून लिए समाज में फैली कुरुतियों को दूर करने के जज्बे ने आज इस मुकाम तक पहुंचा दिया है। पेशे से एक निजी बैंक में नौकरी कर रहे नरेश चौहान को गौ सेवा का जुनून सिर चढ़कर बोल रहा है। वे दिन रात इन्हीं की सेवा में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं।
शिमला ग्रामीण के कोहबाग में जन्मे नरेश चौहान का बचपन पशुओं के साथ गुजरा। बचपन से ही घर में पशुओं की सेवा करते थे। उनका गोबर उठाते। उन्हें नहलाते और जंगल में चराते।
चौहान ने जब होश संभाला तो उनकी नजर लावारिस गायों पर पड़ी। जो धूप और सर्दी में या तो सड़क पर अपना आशीयां बना लेती थी या फिर किसी वर्षा शालिका को। कई बार तो सड़क दुर्घटना का शिकार भी हो जाती थी। ऐसे में उन्होंने बीड़ा उठाया कि लावारिस पहाड़ी गायों को आश्रय देंगे। इसी के चलते उन्हें ब्रीड सेवियर अवार्ड से सम्मानित किया गया।