शिमला : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने बुधवार को शिमला में प्रदेश विधानसभा के सदन में आयोजित 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर कहा कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा को अपनी उच्च परंपराओं और लोकतांत्रिक व्यवस्था में सकारात्मक चर्चा के लिए जाना जाता है। राज्य विधानसभा के पहले अध्यक्ष जयवंत राम से लेकर वर्तमान अध्यक्ष विपिन परमार तक विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों ने इस प्रतिष्ठित सदन की अध्यक्षता की और सदन की कार्यवाही का सम्मानजनक तरीके से संचालन करते हुए मार्गदर्शन किया। उन्होंने राज्य के पहले मुख्यमंत्री डा. यशवंत सिंह परमार सहित अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों राम लाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल का राज्य के प्रति योगदान के लिए स्मरण किया।
जय राम ठाकुर ने प्रधानमंत्री से कांगड़ा जिले के धर्मशाला में राज्य के लिए राष्ट्र ई-अकादमी स्वीकृत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश भारत का पहला राज्य है जिसने अपनी विधानसभा में कागजरहित काम शुरू किया जिसे अब ई-विधान के नाम से जाना जाता है। यह सदन देश और राज्य के संवैधानिक इतिहास में कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का गवाह रहा है। पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी ने इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित किया था। हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी राज्य के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित कर इसके गौरव को बढ़ाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने वर्ष 1948 में अपनी स्थापना से लेकर अब तक विकास यात्रा में नए आयाम हासिल किए हैं। प्रदेश के ईमानदार और मेहनती लोगों के प्रयासों से आज विकास के मामले में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि राज्य में वर्ष 1948 में प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थी जो 2020-21 में बढक़र 1.95 लाख रुपये से अधिक हो गई है। वर्ष 1948 में राज्य में सडक़ों की लंबाई 288 किलोमीटर थी, जबकि आज 37,808 किलोमीटर सडक़ें राज्य के कोने-कोने को जोड़ रही हैं।
प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने वर्चुअल रूप से समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और इस अवसर पर मौजूद अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इस सदन ने अपने गौरवशाली अतीत के दौरान 1300 से अधिक कानून पारित किए हैं।
प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
देश की विभिन्न विधानसभाओं के अध्यक्ष, लोकसभा के महासचिव, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष, मंत्री, सांसद और विधायक समेत अन्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।
ओम बिरला ने आशा जताई सम्मेलन से लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती मिलेगी
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में संसदीय प्रक्रिया का उचित समन्वय सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य और दायरा विधायिकाओं के लोकतंत्रीकरण और लोकतंत्र के बेहतर कामकाज के लिए जिम्मेदारी के विकास पर भी है। उन्होंने कहा कि सदन के काम-काज को प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिक उपयोग की आवश्यकता है।
ओम बिरला ने आशा व्यक्त की कि यह सम्मेलन देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने में एक लंबा सफर तय करेगा। उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानमंडल जनता की शिकायतों को दूर करने और कार्यपालकों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए पहला मंच है। सदन में उठाई जाने वाली समस्याओं और स्थितियों का प्रभावी तरीके से निवारण किया जाना चाहिए।
राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश ने कहा कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन न केवल हमारे लोकतंत्र के 100 गौरवशाली वर्षों का जश्न मनाने का कार्यक्रम है बल्कि अगले 100 वर्षों के लक्ष्यों और उद्देश्यों पर विचार करने का भी अवसर है। उन्होंने सदन में दिए गए आश्वासनों के क्रियान्वयन में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की।