सभी समस्याओं तथा स्थायी नीति कि मांग को लेकर आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शेलेन्द्र शर्मा ने फतेहपुर में की केंद्रीय मन्त्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात
शिमला : हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ लंबे समय से सरकार के सम्मुख अपनी बात रखकर मांगो को मनवाने का प्रयत्न कर रहा है। हालांकि जब 2017 में प्रदेश के मुख्यमन्त्री जय राम ठाकुर बने तो आउटसोर्स कर्मचारियों को बडी उम्मीद थी क्योंकि उससे पिछली सरकार के समय विधानसभा में जयराम ही थे जिन्होने आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगे रखी थी। लेकिन जयराम के 4 साल सत्ता में रहते होने के बाद भी कोई एक भी फैसला सरकार का ऐसा नहीं है जो आउटसोर्स कर्मचारियों के हित में हो। महासंघ के अध्यक्ष शैलेंद्र शर्मा ने भाजपा को चेताया की 40 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों की अनदेखी कहीं पार्टी की चुनावों में भारी न पड़ जाए
उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से भी लगातार संघ ने समय-समय पर मुख्यमंत्री, मंन्त्रीगण तथा विधायकों के माध्यम से लगातार सरकार को अपनी मांगों को मनवाने के लिए भेंट की है लेकिन कोरे आश्वासनों के अलावा झोली में कुछ भी नहीं। इस समय प्रदेश में लगभग 40 से 60 हजार कर्मचारी विभागों, बोर्डों तथा निगमों में कार्यरत शासन के कामों को सहज कर रहे है। इस बात से सभी इतफाक रखेंगे कि आउटसोर्स कर्मचारी कंधे से कंधा मिलाकर अन्य नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य करते है तथा प्रदेश हित में अपनी सेवाएं देते है।
इतना कुछ करने के बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण लगातार हो रहा है। एक तरफ ठेकेदार/एजेंसी उनके मानदेय से एक अच्छी रकम कमीशन के रूप मेें काटती है तथा दूसरी ई0 पी0 एफ0 में भी अनियमिततांए बरती जाती है। वेतन जो कि प्रदेश के न्यूनतम वेतन ;डपदपउनउ ॅंहमेद्ध से भी कम है वो भी कभी 10 तारिख को कभी 20 तारिख को मिलती है। हर कभी नौकरी से निकाला जाता है चाहे बडे अफसर के भाई भजीतावाद के कारण या किसी नेता के हस्तक्षेप के कारण।
इन सभी समस्याओं तथा स्थायी नीति के लिए हि0 प्र0 आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष शेलेन्द्र शर्मा फतेहपुर में केंद्रीय मन्त्री अनुराग ठाकुर से मुलाकात की और अपनी मांगे बताई। अनुराग ठाकुर ने बड़ा साकारात्मक रवैया अपनाते हुए उप चुनाव के बाद विचार विमर्श की बात की। उनके साथ प्रदेश वन मन्त्री राकेश पठानिया भी मौजुद थे।
शेलेन्द्र शर्मा ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारी महासंघ ने सभी कर्मचारियों, उनके परिवारों तथा हिमाचल को युवाओं के हित को देखते हुए मांग की है कि आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक स्थायी नीति बनाई जाए जिससे कोई भी युवा अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण साल युं ही नाम मात्र के वेतन के लिए खर्च न करें। उन्होंने मांग की है कि जो कर्मचारी इस समय विभाग में है उन्हें वरियता के आधार पर या आने वाली भर्तियों में कोटे के माध्यम से विभाग में लिया जाए। अन्य मांगों में समय पर वेतन, नौकरी की सुरक्षा, समान काम समान वेतन इत्यादि शामिल है।
इससे पहले भी प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारी उप चुनावों में वोट के बहिष्कार के लिए सोशल मिडिया पर कैंपेन चला चुके है। जो कि हिमाचल प्रदेश में ट्रैंडिंग में सोशल मिडिया पर चल रहा था। इस कैंपेन का असर इस चुनाव में सरकार को देखने को अवश्य मिलेगा। संघ ने यह भी चेताया है कि यदि सरकार समय रहते आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो 40 हजार कर्मचारी अब ठोस रवैया अपनाएंगे जिसका भुगदान आने वाले साल में चुनावों के समय सरकार को करना पडेगा।