शिमला : हिमाचल प्रदेश में कोविड वैक्सीनेशन अभियान पूरे देश के मुकाबले सबसे तेज़ी और सफलता से चल रहा है। हिमाचल प्रदेश ने हाल ही में सभी वयस्कों को कोविड वैक्सीन की कम से कम पहली डोज़ लगाने का लक्ष्य हासिल किया है।
यह इस छोटे से पहाड़ी राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि इसलिए भी है क्योंकि यहां वैक्सीन को लेकर झिझक जैसी आम समस्या के साथ-साथ मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों से निपटने की भी चुनौती थी। मगर इस अभियान को सफल बनाने का श्रेय प्रदेश के कोरोना योद्धाओं के साथ-साथ आम जनता को भी जाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस उपलब्धि के लिए हिमाचल की पीठ थपथपाई है।
यह भी देखने को मिला है कि कुछ लोगों ने नजदीक ही टीकाकरण केंद्र होने के बावजूद वैक्सीन लगवाने में रुचि नहीं दिखाई। इस तरह की ढील के कारण पूरा सुरक्षा चक्र टूट सकता है। इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन की पहली और दूसरी, दोनों डोज़ सही समय पर लगवाई जाए।
व्यवस्था पर गहराया नव-युवाओं का भरोसा
आर्थिक और सांख्यिकी विभाग का अनुमान था कि हिमाचल प्रदेश में 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के 53 लाख 77 हज़ार 820 लोग हैं जिन्हें वैक्सीन लगानी होगी। मगर हिमाचल प्रदेश में न सिर्फ रिकॉर्ड समय में इस लक्ष्य को पूरा किया गया बल्कि इससे बढ़कर, अब तक 55,78,348 लोगों को पहली डोज़ लगाई जा चुकी है। लक्ष्य से अधिक वैक्सीनेशन के मुख्य कारणों में प्रदेश में लगातार 18+ आयु वर्ग में नए लोगों का आना और प्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी भी है।
सभी पात्रों को वैक्सीन की पहली डोज़ लगाना सामान्य उपलब्धि नहीं है। खासकर तब जब अधिकतर युवा आबादी वाले हिमाचल प्रदेश में हर रोज हज़ारों किशोर 18 वर्ष की आयु पूरी करते हैं। इस तरह से देखें तो टीकाकरण अभियान शुरू होने के समय दिए गए वयस्कों के प्रारंभिक आंकड़े में ही अब तक हज़ारों नए वयस्क जुड़ चुके हैं। उन्हें भी वैक्सीन मिल पाना राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग के कुशल प्रबंधन का एक उदाहरण है।
वैक्सीनेशन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जिसके तहत सभी को वैक्सीन देने के लिए प्रदेश सरकार ने घर-घर में स्वास्थ्यकर्मी भेजे, वोटर लिस्ट के साथ मिलान किया और पंचायती राज संस्थाओं की मदद ली। सभी को मुफ्त वैक्सीन देने के राष्ट्रव्यापी अभियान को गंभीरता से लेते हुए हिमाचल सरकार ने समय रहते जो इंतजाम किए, उससे न सिर्फ हिमाचलवासियों को लाभ हुआ बल्कि पड़ोसी राज्यों के भी कई लोगों ने हिमाचल प्रदेश में आकर वैक्सीन लगवाई।
आज भी पड़ोसी राज्यों के कई टीकाकरण केंद्रों में वैक्सीन स्लॉट उपलब्ध नहीं हैं जबकि हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्यकर्मियों के सही प्रबंधन से पर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध है। हिमाचल घूमने आने वाले कई पर्यटक यहां की वादियों से मधुर स्मृतियों के साथ-साथ कोरोना महामारी के प्रति कवच, वैक्सीन भी लेकर लौट रहे हैं।
कोई उपेक्षित नहीं रहा
हिमाचल प्रदेश इस मामले में भी आदर्श साबित हुआ कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के दौरान किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया। हिमाचल प्रदेश के सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए तो इंतजाम किए ही गए, औद्योगिक क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासियों तक के लिए विशेष व्यवस्था की गई। दिहाड़ी पर जाने वाले श्रमिकों के लिए देर रात तक टीकाकरण अभियान चलाया गया।
अन्य राज्यों में रहने वाले हिमाचलवासियों ने भी वहां लंबी कतारों और वैक्सीन की कमी से बचने के लिए हिमाचल लौटकर वैक्सीन लगवाना पसंद किया। इन सभी कोशिशों के कारण हिमाचल प्रदेश में न सिर्फ सांख्यिकी विभाग की ओर से दिया गया अनुमानित लक्ष्य पूरा हुआ बल्कि वास्तविकता में उससे भी कहीं अधिक लोगों को कोविड वैक्सीन की पहली डोज़ दी गई और यह सिलसिला आज भी जारी है।
प्रदेश में 18+ आयु के पात्र व्यक्तियों को पहली डोज़ के साथ वैक्सीनेट कर दिया गया है और अब सभी को दूसरी डोज़ लगाई जा रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार का कहना है कि जल्द ही वह सभी वयस्कों को दोनों डोज़ देकर संपूर्ण वैक्सीनेशन का लक्ष्य भी हासिल कर लेगी। लेकिन इसके लिए भी जनता का सहयोग जरूरी होगा।