वनस्पति, जीव-जंतुओं की समृद्ध विविधता का पता लगाने और इसे संरक्षित करने के लिए किया जा रहा है यह सर्वे
चण्डीगढ़ : हरियाणा सरकार द्वारा वनस्पति, जीव-जंतुओं की समृद्ध विविधता का पता लगाने और इसे संरक्षित करने के लिए पहला मशरूम सर्वेक्षण 30 सितंबर को यमुनानगर जिले के कलेसर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य में किया जाएगा।
सर्वेक्षण के परिणाम कलेसर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के वनस्पति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के लिए एक प्रभावी प्रबंधन रणनीति तैयार करने में मदद करेंगे। यह क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर वास की अव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखने का आधार भी बनेगा।
इस संबंध में जानकारी सांझा करते हुए हरियाणा वन विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह सर्वेक्षण हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) और डॉ. एनएसके हर्ष जो एक प्रसिद्ध माइकोलॉजिस्ट हैं, के समग्र मार्गदर्शन में किया जाएगा, जिसमें कालेसर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के जीव-जंतुओं और मशरूम विविधता का आंकलन किया जाएगा।
सर्वेक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रवक्ता ने बताया कि पेड़, झाडिय़ाँ, लताएं और जड़ी-बूटियाँ बिना फफूंद के भूमि पर नहीं रह सकतीं। वे कई कीड़ों और अन्य जीवों की खाद्य श्रृंखला का एक अभिन्न अंग हैं। फफूंद और मशरूम एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का एक अविभाज्य अंग हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि कई फफूंद प्रजातियां (मशरूम) खाने योग्य हैं और इसके अलावा मशरूम विटामिन-डी का एकमात्र शाकाहारी स्रोत हैं।
उन्होंने बताया कि प्रकृति प्रजातियों के संरक्षण के लिए वाइल्ड एंड द इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर स्पीशीज सर्वाइवल कमीशन पहला वैश्विक संगठन बना है जिसने पृथ्वी की रक्षा और पुनस्र्थापना के लिए जीवन के तीन महत्वपूर्ण घटकों में वनस्पति और जीव और कवक को एक घटक के रूप में मान्यता का आह्वान किया है ताकि “जीव, वनस्पति और कवक” – जो पृथ्वी पर सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं को संरक्षण रणनीतियों में एकीकृत किया जा सके। इसलिए इस तरह के सर्वेक्षण करने की आवश्यकता की पहचान की गई है।
विवरण देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि सर्वेक्षण का मुख्य फोकस मशरूम पर होगा। इसके अलावा, तितलियों, मकडिय़ों, उभयचर, मछली, सरीसृप, पक्षियों और स्तनधारी विविधता और उनके संरक्षण से संबंधित विभिन्न पहलुओं के लिए भी सर्वेक्षण किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि कलेसर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य के कवक, वनस्पतियों और जीवों की विविधता के एक दिन के सर्वेक्षण में वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के पंद्रह वैज्ञानिक (कवक, कीड़े, मिट्टी, जलवायु परिवर्तन, वनस्पति विज्ञान, प्लांट फिजियालोजी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले), भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून से दस वैज्ञानिक (भृंग, तितलियों, मधुमक्खियों, मधुमक्खियों, जुगनू जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले) यमुनानगर के विभिन्न कॉलेजों के प्रोफेसर और जीव विज्ञान के छात्र, प्रकृति गैर सरकारी संगठन, पक्षी प्रेमी और हरियाणा वन विभाग के अधिकारी भाग लेंगे।
यह उल्लेखनीय है कि कलेसर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य अच्छी तरह से संरक्षित और प्रबंधित क्षेत्र है जो विभिन्न जीवन रूपों को एक समृद्ध विविधता का आश्रय देता है।
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