प्रधान मंत्री जी की सुरक्षा योजना इतनी ठोस व विस्तृत होती है कि इसमे किसी चूक की कोई सम्भवना नहीं रहती. हैरानी की बात है करीब 20 मिनिट्स तक प्रधानमंत्री जी प्रदर्शनकारियों के बीच खतरे मै रहे और किसी भी दुश्मन के निशाने पर आ सकते थे, हम पहले भी प्रधानमंत्री व बड़े नेता को को ऐसे हमले में खो चुके है और ये तो लगता है जानबूझ कर उनको खतरे में डाल दिया गया था,
किसी भी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री की सुरक्षा की योजना बनाना एक विस्तृत अभ्यास है जिसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल दोनों शामिल होते हैं। एसपीजी की ‘ब्लू बुक’ कहे जाने वाले व्यापक दिशा-निर्देशों को निर्धारित किया जाता है। किसी भी नियोजित यात्रा से कुछ दिन पहले, विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी), जो प्रधान मंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, एक अनिवार्य अग्रिम सुरक्षा संपर्क (एएसएल) रखता है, जिसमें एसपीजी अधिकारियों, इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के अधिकारियों सहित कार्यक्रम को सुरक्षित करने में शामिल सभी लोग शामिल हैं। संबंधित राज्य में, राज्य के पुलिस अधिकारी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट अधिकारियों के बीच हर मिनट यात्रा के विवरण और आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था पर चर्चा की जाती है। एक बार बैठक समाप्त हो जाने के बाद, एक एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है, और इसमें भाग लेने वाले सभी लोगों द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा के सारे इंतजाम किए गए हैं।
आयोजन स्थल की सुरक्षा
आयोजन स्थल की सुरक्षा, जिसमें प्रवेश और निकास, कार्यक्रम स्थल पर आने वालों की तलाशी और डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगाने जैसे पहलू शामिल हैं – पर चर्चा की जाती है। मंच की संरचनात्मक स्थिरता की भी जाँच की जाती है। स्थल की अग्नि सुरक्षा का भी ऑडिट किया जाता है। यहां तक कि दिन के लिए मौसम की रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाता है। यदि पीएम के किसी स्थान पर पहुंचने के लिए नाव लेने की संभावना है, तो एक प्रमाण पत्र पर नाव की कार्यात्मक तत्परता और सुरक्षा अधिकृत है। यदि प्रधानमंत्री के जिस मार्ग पर जाने की संभावना है, उस पर झाड़ियाँ हैं, तो एसपीजी उन्हें काटने के लिए कह सकते हैं। मार्ग के संकीर्ण पैच को मैप किया जाता है, और मार्ग सुरक्षा के लिए और अधिक पुलिस बल को वहां तैनात करने के लिए कहा जाता है,
अचानक बदलाव की स्थिति मे क्या होना चाहिये
अगर योजना मैं अचानक बदल जाएँ तो क्या होगा, एक आकस्मिक योजना हमेशा पहले से बनाई जाती है। इसीलिए, मौसम की रिपोर्ट को ध्यान में रखा जाता है। क्या होगा अगर खराब मौसम के कारण, पीएम कार्यक्रम स्थल के लिए उड़ान नहीं भर सकते। इसलिए सड़क मार्ग से एक वैकल्पिक मार्ग की योजना पहले से बनाई जाती है, मार्ग को साफ किया जाता है और सड़क पर सुरक्षा व्यवस्था की जाती है, भले ही पीएम के उड़ान भरने वाले हों। आप अंतिम समय में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं कर सकते। एक हेलीकॉप्टर को सुरक्षित रूप से उड़ान भरने के लिए कम से कम 1,000 मीटर की दृश्यता की आवश्यकता होती है, जो कभी-कभी एक बाधा होती है। सर्दियों के दौरान कई बार, कोहरे के कारण पीएम को सड़क पर उतरना पड़ता है। उन मार्गों को पहले से नियोजित और सुरक्षित किया जाता है। यदि किसी कारण से मार्ग स्पष्ट नहीं पाया जाता है, तो राज्य पुलिस इसकी अनुमति नहीं देती है यहां पर चन्नी सरकार गलती कर गयी ।एसपीजी सिर्फ पीएम को नजदीकी सुरक्षा मुहैया कराता है। जब पीएम किसी भी राज्य की यात्रा कर रहे होते हैं, तो समग्र सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी राज्य पुलिस की होती है। उनके पास खुफिया जानकारी जुटाने, मार्ग की मंजूरी, स्थल की सफाई और भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी है। सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे के बारे में इनपुट प्रदान करने के लिए केंद्रीय खुफिया एजेंसियां जिम्मेदार हैं। हालांकि, पीएम की सुरक्षा की व्यवस्था कैसे की जाए, इस पर अंतिम फैसला एसपीजी ही करती है। सूत्रों ने कहा कि एसपीजी कभी भी पीएम के कार्यकर्म की अनुमति तब तक नहीं देती जब तक कि स्थानीय पुलिस आगे नहीं बढ़ जाती तो फिर इसका मतलब रोड क्लीयरेंस की अनुमति तो प्रदेश सरकार व डीजीपी पंजाब ने दी थी । राज्य पुलिस को अगर तोड़फोड़ का अंदेशा था तो सड़कों पर और छतों पर स्नाइपर्स को रखकर मार्ग को सुरक्षित करना चाहिए। राज्य पुलिस पायलट वाहन भी प्रदान करती है जो पीएम के काफिले से दो तीन किलोमीटर आगे चलता है और आगे संभवित खतरे से आगाह करता है
सार्वजनिक कार्यक्रमों जहां पीएम से लोगों की भीड़ के करीब जाने की उम्मीद की जाती है पुलिसकर्मियों के अलावा सुरक्षा के लिए सादे कपड़ों में पुरुषों को तैनात करने के लिए एक एसपी स्तर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति होती है. राजनीतिक आयोजनों में पीएम की राजनीतिक टीम या यहां तक कि व्यक्तिगत रूप से पीएम भी अपने सुरक्षाकर्मियों पर प्रोटोकॉल से हटने का दबाव बना सकते हैं। एसपीजी यहां उन्हें प्रोटोकॉल व संभवित खतरे भांपते हुए रोक सकती है
महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी संजीव दयाल ने एसपीजी प्रमुख रहते, 1999 की लाहौर यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के काफिले में आधे घंटे से अधिक की देरी की थी। “दयाल लाहौर किले तक पहुंचने के लिए वहां (पाकिस्तान में) स्थानीय पुलिस द्वारा दिए गए मार्ग की मंजूरी के बारे में सुनिश्चित नहीं थे। वह चाहते थे कि रास्ते में कुछ भीड़ को साफ किया जाए। राजनयिक दयाल पर पीएम को जाने देने का दबाव डाल रहे थे क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण घटना थी। लेकिन दयाल ने अपना पक्ष रखा और भीड़ को साफ होने तक पीएम को जाने नहीं दिया,
लेकिन क्या होगा यदि कार्यक्रम के दौरान स्वतःस्फूर्त या अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन हो जाये जिसकी उम्मीद नहीं की गई हो जैसा कि पंजाब मैं हुआ,आम तौर पर, स्थानीय खुफिया जानकारी होती है कि कौन से समूह विरोध की योजना बना रहे हैं, और निवारक कार्रवाई की जानी चाहिए थी। स्थानीय पुलिस के पास संदिग्ध लोगों या संभावित प्रदर्शनकारियों की सूची थी। उन्हें पहले से धर दिया जाता है। इन पर भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह की निगरानी की जानी चाहिये थी। यदि कोई नियोजित विरोध था जिसे रोका नहीं जा सकता , तो मार्ग पर जाने से बचा जाता व वैकल्पिक रास्ता अपनाते,
चरणजीत सिंह चन्नी ने झूठ बोला कि पीएम ने अचानक योजना में बदलाव किया था, प्रधानमंत्री यात्रा का हमेशा एक वैकल्पिक रास्ता तैयार रहता है
गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि पीएम के कार्यक्रम के बारे में पहले ही बता दिया गया था। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, की डीजीपी पंजाब पुलिस द्वारा आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की पुष्टि के बाद वह सड़क मार्ग से यात्रा करने के लिए आगे बढ़े। चन्नी साहब जब तक स्टेट सिक्योरिटी गो ahead न करे तब तक मूवमेंट नहीं हो सकती, यह स्थानीय पुलिस की व प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि वह पूरे मार्ग को साफ करे, छतों पर स्नाइपर्स रखें। पीएम एक फ्लाईओवर के ऊपर 20 मिनट से अधिक समय तक किसी के भी निशाने पर आ सकते थे।हुसैनीवाला से बठिण्डा के रास्ते ही ग्रामीण मालवा क्षेत्र है जो किसान आंदोलन का गढ़ बना है वाह क्या सेफ रास्ता पंजाब पुलिस व चन्नी सरकार ने चुना था, आई बी ने जो गुप्त जानकारियां पंजाब पुलिस व लोकल intellegence से सांझ की उस पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई ,ये यही क्षत्र तो प्रर्दशनकारियों का केंद्र बिंदु बना है यहां से प्रधान मंत्री जी को ले जाना कैसे सुरक्षित था और ये यह एक रोड क्रॉस-सेक्शन भी नहीं था। इसका सीधा सा मतलब है कि स्थानीय पुलिस फ्लाईओवर के प्रवेश और निकास को सुरक्षित करने में विफल रही। काफिले को फ्लाईओवर पर रोकने का मतलब VVIP को और खतरे मैं डालना अगर प्रदर्शकारी दोनो तरफ से आते तो क्या करते और डीजीपी पंजाब सड़क क्लीयरेंस के समय साथ नहीं थे व पुलिस की निष्क्रिय भूमिका रही, पंजाब पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ राज्य है और हुसैनीवाला फ़िरोज़पुर तो पाकिस्तान बॉर्डर के पास ही है, यहां तक तो दुश्मन की हैवी आर्टिलरी की भी जद है। ये एक गंभीर व ऐतिहासिक सुरक्षा चूक थी,
अगर कुछ अशुभ हो जाता,वो देश के प्रधानमंत्री हैं किसी एक पार्टी के नही, इतनी नफरत ,,,कुछ पार्टियों के प्रवक्ता बोल रहे है ,,,,हुआ तो नही न कुछ,,,होना क्या था जी करीब 50 एसपीजी बजरंगबली काले कोट मैं खड़े थे चारो तरफ और पांच मिनट्स ये हंगामा और चलता तो ये एसपीजी बजरंगबली तांडव मचा देते,,,,
प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश के सामने SPG उसी प्रकार चट्टान की भांति खड़ी हो गयी जिस प्रकार केदारनाथ त्रासदी के समय पहाड़ों से अचानक नीचे उतरी चट्टान ने बाबा केदारनाथ के धाम का बाल बांका नहीं होने दिया था,
काले कोट वाले SPG के जवान जब दुनिया की सबसे भयंकर और प्रलयंकारी बंदूकों के साथ कारों से तत्काल उतरे और प्रधानमंत्री की कार के चारों तरफ फैल गए ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री की कार की तरफ बढ़ने की कोशिश करने वाले को रोका नहीं ठोंका जाता है।
5 जनवरी को काले कोट वाले SPG के जवानों में प्रदर्शनकारी गुंडों को साक्षात काल दिखायी देने लगा ऐसा नहीं है कि IB को खबर नहीं थी। आई बी द्वारा पंजाब सरकार को किया गया वार्त्तालाप व संचार यह सच बता भी रही हैं की पंजाब सरकार ने आई बी की इनपुट पर कोई कायवाही नहीं कि। सर्वज्ञात है कि कार्रवाई का अधिकार IB के पास नहीं राज्य सरकार के पास होता है। लेकिन यह कल्पना भी कोई नहीं कर सकता कि पंजाब की कांग्रेसी सरकार इस कदर गद्दारी पर उतारू हो जाएगी कि अपनी पुलिस को IB की सूचनाओं पर कार्रवाई करने के बजाए उन गुंडों के साथ सड़कछाप की तरह अठखेलियाँ करने का आदेश दे देगी। लेकिन गुंडों और पंजाब की कांग्रेसी सरकार के कातिलाना मंसूबों पर SPG के जवानों ने पानी फेर दिया। SPG के जैमर के कारण अन्य किसी प्रकार के रिमोट संचालित हमले की संभावना शून्य हो चुकी थी। IB से मिल चुकी सूचनाओं के बाद भारतीय वायुसेना सतर्क थी।आकाश के चप्पे चप्पे पर उसकी नजर थीं. करीब 1.5 लाख फोज 20 किलोमीटर दूरी पर थी, जरा सोचो क्या हो सकता था और हमारे प्रधानमंत्री ने किस तरह स्तिति को संभाला होगा। फ्लाईओवर पर रुका प्रधानमंत्री का काफिला पंजाब सरकार की देशद्रोही मिलीभगत को देश के सामने उजागर करने के लिए ही 20 मिनट तक रुका था। प्रधानमंत्री जी भलीभांति जानते थे कि काले कोट वाले भारत मां के सपूतों के सामने ये प्रदर्शनकारियों के भेष में देशद्रोही कुछ क्षण भी नहीं टिक पाएंगें। अफसोस सिर्फ ये है कि प्रधानमन्त्री जी लेने नहीं करोड़ो की योजनाएं देने आए थे स्वार्थ की राजनीति मे पंजाब सरकार इतनी गिर जायगी ये अब काफी समय तक चर्चा का विषय बना रहेगा.
हमे अपने प्रधानमंत्री के संयम पर गर्व है साथ ही आपके संदेश से चन्नी चवनि की टाँगे कांप रही होगी,
$(अपने मुख्यमंत्री को Thnx कहना
की मैं भटिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लोट पाया)$
बाकी जवाब आने वाले दिनों में आदियोगी देंगे और जवाब शानदार होगा श्री मान मुख्यमंत्री,,,,,
डॉ देवेंद्र पीरटा भाजपा सयंजोक बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ ज़िला महासू हिमाचल प्रदेश
Thnx sharma ji
welcome sir…..