शिमला : ट्विटर पर भाजपा के संगठन महामंत्री पवन राणा ने सहायक लोक संपर्क अधिकारी अजय बन्याल बीच टकराव चर्चा का विषय बना रहा। ट्विटर पर संगठन महामंत्री ने एपीआरओ को खूब खरी खोटी सुनाई । दोनों के बीच हुई इस तनातनी पर मंगलवार को दिन भर सोशल मीडिया पर खूब बवाल रहा। राणा ने बन्याल की नौकरी को सिफारिशी करार दिया तो इस पर बन्याल ने भी कड़े जवाब दिए और राणा की भाषा पर आपत्ति जताई। दरअसल पवन राणा ने 22 नवंबर को अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया कि बहादुरी का अर्थ उद्दंडता नहीं है।
जो अपनी शक्ति से दूसरों को कुचल डालता है, वह बहादुर नहीं है। सच्चा बहादुर वह है जो शक्ति होते हुए भी किसी को डराता नहीं है और निर्बलों की रक्षा करता है। इस पर स्पीति में एपीआरओ के पद पर नियुक्त अजय बन्याल ने ट्वीट किया कि लोग कुर्सी का फायदा उठाकर कुचलने में महानता समझते हैं। लेकिन वक्त उन्हें ही कुचल देता है। इस पर पवन राणा ने तू-तड़ाक की शैली में एक अन्य ट्वीट किया। यही नहीं, पवन राणा ने यहां तक कमेंट किया कि उन्हें सारी करतूतें पता है, बेशक वह कुछ नहीं बोलते हैं।
स्पीति में रहकर सिफारिश की नौकरी करने की भी संगठन महामंत्री ने एपीआरओ को सलाह दी। यह भी कहा कि वह सबको जानते हैं कि उन्हें भी और उनके आकाओं को भी जानते हैं। बाद में अजय बन्याल ने अपना ट्वीट डिलीट किया तो इस पर भाजयुमो के राज्य अध्यक्ष अमित ठाकुर ने भी रिट्वीट किया कि पवन राणा पर लिखने से पहले वह अपने में झांक तो लेते।
इस पर अजय बन्याल ने दोबारा रिट्वीट किया कि उन्होंने तो किसी का नाम नहीं लिया, बल्कि इसका गलत अर्थ निकाला गया। बाकी नौकरी सिफारिशों से नहीं मिलती। उसके लिए तपना पड़ता है। भगवा ध्वज तपना ही सिखाता है। जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, उससे जाहिर होता है कि संगठन में क्या सीखा गया है और क्या नहीं सीखा गया है। इस पर भाजयुमो के प्रदेश प्रमुख आईटी मैडी नरयाल ने उल्टा सवाल किया कि वह क्या अब संगठन सिखाएगा।
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