शिमला : केंद्र सरकार ने MIS के बजट में कटौती की है, जिसका संयुक्त किसान मंच ने विरोध किया है। संयुक्त किसान मंच का मानना है कि केंद्र सरकार के द्वारा मण्डी मध्यस्थता योजना (MIS) के बजट में कटौती कर इसको समाप्त करने की कवायद से देश के किसानों व विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, कश्मीर व उत्तराखंड के सेब किसानों को बड़ा धोखा दिया है। सरकार ने मण्डी मध्यस्थता योजना (MIS) के लिए पिछले वर्ष के बजट में 1550 करोड़ रूपए का प्रावधान किया था और इस वर्ष के बजट में मात्र एक लाख रुपए का ही प्रावधान किया गया है। मंच के संयोजक हरीश चौहान तथा सहसंयोजक संजय चौहान ने कहा कि मण्डी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत सरकार मण्डी में किसानों को कम दाम न मिले इसके लिए देश में उन फसलों की खरीद करती है जिनको न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नही दिया जाता है। इनमे मुख्यता सेब, किन्नू, संतरा, आलू, प्याज, लहसुन ,बंद गोभी, नारियल, धनियां, मिर्च ,काली मिर्च, लौंग, सरसों आदि फसलों की खरीद की जाती रही है। इसके लिए केंद्र व राज्यों के द्वारा 50:50 प्रतिशत धन उपलब्ध करवाया जाता है।
हिमाचल प्रदेश में यह योजना वर्ष 1987-88 से आरम्भ की गई और इसके तहत सेब व किन्नू की फसल की खरीद की जाती है। वर्ष 2022 मे हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा करीब 90 करोड़ रूपए के सेब की खरीद मण्डी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत की गई है और किन्नू की जो खरीद की गई है वह इससे अतिरिक्त हैं। अभी बागवानों का सरकार के पास करीब 100 करोड़ रूपए का बकाया है। केंद्र व राज्य सरकार इसके लिए 50:50 प्रतिशत के अनुपात में धन उपलब्ध करवाता है। केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए उपलब्ध बजट को समाप्त करने से प्रदेश के बागवानों को भारी परेशानी होगी।
संयुक्त किसान मंच केंद्र सरकार से मांग करता है कि केंद्र सरकार मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के बजट मे की गई कटौती के निर्णय को तुरन्त वापिस ले और कम से कम 5000 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया जाए। यदि सरकार इस मांग पर अमल नहीं करती है तो संयुक्त किसान मंच सभी किसान व बागवान संगठनों को साथ लेकर बड़ा आंदोलन करेगा।
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