मुख्यमंत्री ने धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में 381 करोड़ रुपये की 96 विकास परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास किए

धर्मपुर में लोक निर्माण विभाग का वृत कार्यालय खोलने व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मण्डप को स्तरोन्नत कर 50 बिस्तर का...

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कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर अपने राजनैतिक हित साधने का प्रयास कर रहे सीएम : कुलदीप सिंह राठौर

शिमला : कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व् प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह...

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शिमला में भारतीय मजदूर संघ ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, विशाल प्रदर्शन

शिमला : प्रदेश सरकार के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ ने मोर्चा खोल दिया है। अपनी। मांगों को लेकर सोमबार को...

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मुख्यमंत्री ने कुपवी में 180 करोड़ रुपये की 46 विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण व शिलान्यास, जानिए कहां कहां किया लोकार्पण व शिलान्यास

कुपवी में उप-मंडलाधिकारी कार्यालय तथा डिग्री काॅलेज खोलने की घोषणा की चौपाल : मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज जिला...

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एआईयू ने सार्वजनिक और निजी संस्थानों के बीच भेदभाव की निंदा की निजी विश्वविद्यालयों के साथ भेदभाव दूर करें, एआईयू चीफ

सोलन : नार्थ ज़ोन एसोसियेशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीस के दो दिवसीय सम्मेलन ने फंडिड प्रोजेक्टस और इंटर्नशिप के माध्यम से सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को पूरा करने में विश्वविद्यालयों और सरकार के बीच के अंतर को दूर करने पर जोर दिया। वाइस चांसलर्स जो ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से शामिल हुए आश्वस्त थे कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा सस्टेनेबल डवलपमेंट के लिए निर्धारित लक्ष्यों को उच्च शिक्षा के संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने संकल्प लिया कि यह संस्थानों द्वारा समावेशी पाठ्यक्रम, अनुसंधान और संस्थानों के भीतर अभ्यास के संदर्भ में किया जा सकता है जैसा कि मेजबान यूनिवर्सिटी शूलिनी यूनिवर्सिटी ने किया है । समापन समारोह को संबोधित करते हुए एआईयू के प्रेसिडेंट कर्नल डॉ जी तिरुवासागम ने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी)- 2020 के अनुसार विश्वविद्यालय का नामकरण सार्वजनिक विश्वविद्यालय या निजी विश्वविद्यालय या डीम्ड विश्वविद्यालय नहीं होना चाहिए। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को अभी तक इस संबंध में अधिसूचना जारी नहीं करने के लिए यूजीसी पर सवाल उठाया। डॉ. थिरुवासागम ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी सरकारी या प्रोजेक्ट फंडिड के लिए निजी विश्वविद्यालयों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और इस तरह के भेदभाव को समाप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि निजी विश्वविद्यालयों के लिए मार्चिंग ग्रांट के प्रावधान को भी कम करके सार्वजनिक विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों के बराबर किया जाना चाहिए।कर्नल थिरुवासागम ने कहा कि नैक (एनएएसी)मान्यता के लिए निजी विश्वविद्यालयों के लिए अलग प्रकार की नियमावली होनी चाहिए क्योंकि वे रैंकिंग और मान्यता में अंक खो रहे हैं। उन्होंने नियामकों की भूमिका पर भी सवाल उठाया। एआईयू की सैक्रेटरी जनरल डॉ श्रीमती पंकज मित्तल ने घोषणा की कि सम्मेलन की सभी सिफारिशों को एआईयू और शूलिनी यूनिवर्सिटी द्वारा लागू किया जाएगा क्योंकि उच्च रैंकिंग वाले निजी विश्वविद्यालय देश में विश्वविद्यालयों के लिए एक आदर्श बन सकते हैं। उन्होंने एनईपी को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को बधाई दी। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एआईयू अंतरराष्ट्रीय मानकों की एक पत्रिका प्रकाशित करेगा। चांसलर प्रो पीके खोसला ने बताया कि शूलिनी यूनिवर्र्सिटी ने 2019 में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस इन एनर्जी साईंस और टेक्नोलॉजी (सीईईएसटी) की स्थापना करके एसडीजी के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने रिसर्च, इनोवेशन और एजुकेशन को पहले ही उन्मुख कर दिया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय रिसर्च और इनोवेशन को आगे बढ़ाएगा और अपने एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करेगा।प्रोफेसर पीके खोसला ने घोषणा की कि वे एसडीजी के कार्यान्वयन को और मजबूत करने के लिए एक और विश्वविद्यालय शूलिनी योगानंद ऐंशंट इंडियन साईंसेस स्थापित कर रहे हैं जो प्राचीन भारतीय संस्कृति में निहित हैं। शूलिनी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर अतुल खोसला ने कहा कि विश्वविद्यालय ने संयुक्त राष्ट्र एसडीजी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी एजुकेशन, रिसर्च, इनोवेशन को पहले ही उन्मुख कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन एनर्जी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (सीईईएसटी) यूनिवर्सिटी में एसडीजी से संबंधित एजुकेशनए रिसर्च और इनोवेशन का नेतृत्व करेगा।उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय एक समन्वित प्रयास के माध्यम से एसडीजी रिसर्च और एजुकेशनक को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा वास्तव में हमारा विश्वविद्यालय सभी विश्वविद्यालयों को एसडीजी के कार्यान्वयन में मदद करेगा जिसमें शूलिनी यूनिवर्सिटी जैसे सस्टेनेबल ग्रीन कैंपस बनाना भी शामिल है। सम्मेलन ने संकल्प लिया कि नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडेशन (एनबीए) के लिए एनबीए मान्यता के लिए आवेदन करने के लिए पिछले तीन वर्षों के प्रवेश के लिए छात्रों की न्यूनतम आवश्यकता में ढील दी जानी चाहिए।

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जेसीसी बैठक में मुख्यमंत्री की घोषणाओं का किया स्वागत : विनोद शर्मा

शिमला : प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के साथ हुई संयुक्त सलाहकार समिति जेसीसी की बैठक में प्रदेश के कर्मचारिओं व...

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मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेश की अपनी मांगों को लेकर 2 दिसम्बर को प्रदेशव्यापी हड़ताल

शिमला : सीटू से सबन्धित हिमाचल प्रदेश मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन अपनी मांगों को लेकर दो दिसम्बर को प्रदेशव्यापी...

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हिमाचल में तुर्की के सेब आयात पर लगे प्रतिबंध, पाकिस्तान को ड्रोन देने से नाराज, कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता कुलदीप राठौर ने केंद्र से उठाई मांग

शिमला : भारत-पाक संघर्ष के बीच तुर्की के सेब इंपोर्ट पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने की मांग उठी है। कांग्रेस के...

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