शिमला : शिक्षा विभाग में हुए छात्रवृत्ति घोटाले के बाद अब हिमाचल में एक और फर्जीबाड़ा सामने आया है। इसके तहत जिला सिरमौर में कौशल विकास योजना के तहत हर माह मिलने वाले एक हजार रुपये के भत्ते को लेने के लिए कई शिक्षण संस्थानों ने नकली सर्टिफिकेट दिखाकर भत्ते की राशि हड़प ली। सिरमौर के रोजगार कार्यालयों और कुछ संस्थानों के दस्तावेजों में कई खामियां मिली हैं। राज्य निजी शिक्षण संस्थान विनियामक आयोग ने उपायुक्त सिरमौर को मामले की जांच के लिए पत्र भेजा है।
आयोग की एक टीम ने बीते दिनों जिला सिरमौर में कौशल विकास के कोर्स करवाने वाले संस्थानों का निरीक्षण किया। कई संस्थानों ने इस दौरान उनकी ओर से कौशल विकास भत्ता लेने के लिए कोई भी सर्टिफिकेट प्रशिक्षार्थियों को जारी नहीं करने की बात की। कुछ संस्थानों ने जारी सर्टिफिकेट की संख्या बताई। जब आयोग ने रोजगार कार्यालय में रिकॉर्ड जांचा तो ऐसे संस्थानों के सर्टिफिकेट भी भत्ता लेने वाले युवाओं के आवेदनों के साथ पाए गए, जिन्होंने इन्हें जारी ही नहीं किया था।
कुछ संस्थानों के निर्धारित संख्या से अधिक सर्टिफिकेट पाए गए। आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उपायुक्त सिरमौर को सारा रिकॉर्ड भेजते हुए मामले की गहनता से जांच करने की सिफारिश की है। इसकी पुष्टि आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल सेवानिवृत्त अतुल कौशिक ने की है। उन्होंने बताया कि सिरमौर जिले में जो सामने आया है, उसके बाद अन्य जिलों में भी व्यवस्थाओं को जांचा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार योजना के तहत कौशल विकास के तहत एक हजार से 1500 रुपये तक प्रति माह भत्ता दे रही है। यदि व्यक्ति 50 फीसदी से अधिक दिव्यांग है तो उसे सरकार प्रति माह 1500 रुपये दे रही है। भत्ता अधिकतम दो साल की अवधि के लिए दिया जाता है। वोकेशनल एजूकेशन, टेक्निकल ट्रेनिंग सहित कौशल विकास जैसे कोर्स करने वाले हिमाचल मूल के लोगों को यह भत्ता मिलता है।
योजना का लाभ लेने के लिए प्रार्थी का नाम रोजगार कार्यालय में एक साल पहले पंजीकृत होना जरूरी है। 16 से 36 वर्ष के आयु वाले इस योजना का लाभ लेने के लिए पात्र हैं। कोई विधवा है तो उसे इस योजना का लाभ 45 साल की उम्र तक मिलता है। स्वरोजगार लाभार्थी, मनरेगा कामगार, योजना का लाभ उठाने के लिए परिवार की आय दो लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।सरकारी नौकरी से निष्कासित, 48 घंटे से ज्यादा सजा काटे अपराधी इस योजना का लाभ नहीं ले सकते।
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