शिमला : जो लोग सोमवार को हिमाचल प्रदेश में या राज्य से बाहर बसों से सफर करने की सोच रहे हैं, वह एक बार अपने घरों से बाहर निकलने से पहले सोच लें। उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विशेषकर उन लोगों को जो लोग एचआरटीसी की बसों में सफर करते हैं। इसके अलावा निजी बसों में सफर करने वालों को भी कोरोना काल में भारी भीड़ की परेशानी से दो चार होना पड़ सकता है। क्योंकि सोमवार को एचआरटीसी कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कारण निगम की बसें नहीं चलेंगी। हालांकि प्रबंधन ने संघ के एक खेमे को आज शाम को वार्ता के लिए भी बुलाया है।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम यानि एचआरटीसी के कर्मचारी सरकार से उनकी मांगे नहीं माने से रूष्ट हैं। कर्मचारी परिवहन कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति की बैठक बुलाए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनकी यह मांग पूरी नहीं होने पर कर्मचारी 18 अक्तूबर यानि सोमवार को हड़ताल पर जा रहे हैं। ऐसे में सोमवार को एचआरटीसी की बसों के पहिए पूरी तरह से थम जाएंगे। निगम की बसें आज रात 12 बजे से नहीं चलेंगी। हालांकि निजी बसें चलती रहेंगी। लेकिन एचआरटीसी की बसों के नहीं चलने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि निजी बसों में आवश्यकता से अधिक भीड़ होगी। इसके अलावा कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां पर केवल एचआरटीसी की बसें ही चलती है। इन लोगों को तो सफर करने की सोचना ही नहीं पड़ेगा या फिर टैक्सी कर अपनी जेब ढीली करनी होगी।
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम संयुक्त समन्वय समिति सचिव खेमेंद्र गुप्ता ने कहा कि समिति ने हड़ताल की पूरी तैयारियां कर दी है। सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं आया है। उन्होंने कहा कि रात 12 बजे से निगम की बसें नहीं चलेंगी। उन्होंने कहा कि निगम के कर्मचारियों के 34 माह के ओवरटाईम पर निगम प्रबंधन कुंडली मार कर बैठा हुआ है। राज्य के अन्य कर्मचारियों को डीए 159 फीसदी दिया जा रहा है, जबकि एचआरटीसी के कर्मचारियों को 144 प्रतिशत दिया जा रहा है। इसी तरह आईआर अन्य कर्मचारियों को 21 प्रतिशत जबकि निगम कर्मचारियों को यह 8 प्रतिशत दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निगम प्रबंधन की ओर से जारी पत्र में चुनाव आदर्श आचार संहिता का हवाला देते हुए 11 नवम्बर को वार्ता को बुलाने की बात कही गई है, जबकि निगम कर्मचारी अपनी मांगों को जल्द समाधान की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पत्र मिलने के बाद जेसीसी के पदाधिकारी मुख्य चुनाव आयुक्त से मिले, जिस पर आयुक्त ने कहा कि निगम कर्मचारियों की मांगे पुरानी है तथा इसमें नया कुछ भी नहीं है। इसे देखते हुए जेसीसी ने कर्मचारियों की मांगों को लेकर सोमवार 18 अक्तूबर को काम छोड़ो आंदोलन करने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में प्रदेश में व प्रदेश से बाहर निगम की बसों का संचालन नहीं होगा।
ऐसे में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि प्रदेश में एचआरटीसी की करीब 2800 बसें चलती हैं, जबकि निगम के पास कुल बसों की संख्या 3350 हैं। इसके अलावा प्रदेश में करीब 3500 निजी बसें चलती है।