आशा वर्कर्स ने सरकार पर लगाए अन्देखी के आरोप
कहा तारीफ से नहीं भरते पेट, आशा कार्यकर्ताओं को मनरेगा में काम करने वालों से भी मिलता है कम मानदेय
आशा वर्कर्स को मिलते हैं मात्र 60 रूपए प्रति दिन : रांटा
शिमला, 30 जुलाई :
कोरोना काल में अपनी जान को जोखिम में डाल कर बेहतरीन काम करने वाली आशा कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार पर अन्देखी के आरोप लगाए हैं। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि तारीफ करने से पेट नहीं भर सकते हैं। इसके लिए पैसा चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आशा कार्यकर्ताओं से ज्यादा पैसा तो मनरेगा में काम करने वालों को मिल रहा है। आशा वर्कर्स युनियन की प्रदेश अध्यक्षा सत्या रांटा ने आज शिमला में पत्रकार वार्ता में सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह भूखहड़ताल करेंगी तथा आत्मदाह करने से भी संकोच नहीं करेंगी।
उन्होंने आशा वर्कर्स के लिए स्थायी नीति बनाने, डियुटी टाईम फिक्स करने तथा न्यूनतम मजदूरी फिक्स करने की मांग की है। उन्होंने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्य में टाइम का कोई प्रावधान नहीं है। रांटा ने कहा कि उनकी केवल मात्र तारीफ की जाती हे, जबकि मिलता कुछ भी नहीं। ऐसे में वह अपना व अपने परिवार का पेट कैसे पाले। उन्होंने कहा कि महामारी के इस दौर में वह अपने घरों से लड़ाई करके निकलती हैं, उसके बावजूद भी यदि कुछ ना मिले तो इसमें हमारा क्या दोष है। उन्होंने कहा कि एक मजदूर को एक दिन में 400 रूपए दिहाड़ी मिलती है, जबकि आशा वर्कर्स को दिन के मात्र 60 रूपए प्रति दिन मिलते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सभी कार्य आशा वर्कर्स से करवाते हैं। उसके हिसाब से मानदेय नहीं मिलता है।
उन्होने कहा कि अभी तक सरकार ने उनके मानदेय बढ़ाने या अन्य लाभ देने की जो भी घोषणा की है, वह उन्हें अभी तक न हीं मिले। उन्होंने सरकार के बड़े मोबाईल फोन आशा वर्कर को दिए गए है वह चलते ही नहीं है। उनके पास जो पर्सनल फोन है उनसे वह बच्चों की क्लास लगाए या फिर सरकारी काम करे। ऐसे में उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
सत्या रांटा ने कहा कि वह विभाग के उच्च अधिकारियों से अपनी समस्याओं को लेकर कई बार बात कर चुके है , लेकिन उसका कोई भी लाभ नहीं हुआ। ऐसे में आज यूनियन ने मुख्यमंत्री को भी अपनी मांगों व समस्याओं को लेकर एक पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी यदि उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया तो वह पूरे हिमाचल में काम बंद करके भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आत्मदाह करने में भी संकोच नहीं करेंगी
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