हिमाचल में इस साल सूखे व फिर ओलावृष्टि से कृषि व बागवानी को हुआ है करीब साढ़े 600 करोड़ रूपए का नुकसान
शिमला,
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश द्वारा सूखे व ओलावृष्टि से हुए नुकसान की रिपोर्ट को वापिस लौटा दिया है। मंत्रालय ने प्रदेश को सूखे व ओलावृष्टि को लेकर रिपोर्ट अलग-अलग भेजने के निर्देश दिए हैं।
प्रदेश में इस साल जनवरी से मई माह तक पहले सूखे व फिर ओलावृष्टि से कृषि व बागवानी को करीब साढ़े 600 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। इसकी भरपाई के लिए सरकार ने रिपोर्ट केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय को भेजा था, लेकिन कृषि मंत्रालय ने इसे वापिस लौटा दिया तथा कहा कि सूखे व ओलावृष्टि से हुए नुकसान को लेकर रिपोर्ट अलग-अलग तैयार कर भेजी जाए। इसके बाद अब राजस्व विभाग रिपोर्ट को अलग-अलग तैयार करने में जुट गया है।
प्रदेश में इस साल जनवरी से मार्च माह के बीच सूख पड़ा तथा फिर अप्रैल व मई माह में भारी ओलावृष्टि से कृषि व बागवानी की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार के आंकड़े के अनुसार कृषि को सूखे से 133 करोड़ रूपए तथा ओलावृष्टि से 76 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है। इसी तरह ओलावृष्टि से बागवानी विशेषकर सेबों को 144 करोड़ रूपए के होने का अनुमान है। इसी तरह आईपीएच विभाग को भी सूखे व ओलावृष्टि से 143 करोड़ रूपए के नुकसान का अनुमान लगाया गया है।
इससे संबंधित रिपोर्ट को राजस्व विभाग ने एक साथ ही केंद्र को भेज दिया था, लेकिन अब केंद्रीय कृषि मंत्रालय की आपत्ति के बाद अब विभाग ने कृषि व बागवानी विभाग को सूखे व ओलावृष्टि से हुए नुकसान का डेटा अलग-अलग देने के निर्देश दिए हें, ताकि नुकसान की भरपाई के लिए रिपोर्ट केंद्र को अलग-अलग तैयार कर भेजी जा सके।
प्रदेश में ओलावृष्टि व सूखे से किसानों व बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। किसान व बागवान सरकार से राहत राशि प्रदान करने की मांग लम्बे समय से कर रहे हैं। ओलावृष्टि के कारण सबसे अधिक सेब की फसल प्रभावित हुई है। इस कारण सेबों केा उचित दाम भी नहीं मिल रहे हैं।
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