शिमला : देवभूमि हिमाचल प्रदेश के आनी क्षेत्र में एक महिला 35 साल से अकेली गुफा में जीवन बसर करने को मजबूर है। वह भी ऐसे जंगल में जहां लोग इकट्ठे जाने से भी डरते हैं। वहीं एक महिला 35 साल से अकेली गुफा में जीवन बसर कर रही है। महिला के पास न तो भूमि है और न कोई सरकारी सुविधा। यहां बात हो रही है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू के आनी खंड की पलेही पंचायत के तांदी गांव के साथ कुटल नामक स्थान पर रहने वाली 58 वर्षीय बिंदरू देवी की। वह जंगली जानवरों के खौफ में जीवन जीने को विवश है। करीब पांच दशक पूर्व महिला ने यहां मजदूरी का काम कर रहे बंगाल के युवक के साथ शादी की थी। महिला की दो बेटियां हैं, जिनका विवाह भी हो चुका है।
बिंदरू देवी के पति का करीब पांच साल पूर्व देहांत हो गया है। ऐसे में अब यह महिला सुनसान में दशकों पूर्व बनी इस पत्थर की गुफा में अकेली ही अपनी शेष जिंदगी काट रही है। बिंदरू देवी ने जीवन यापन के लिए एक गाय भी पाल रखी है। जबकि बेटियां भी कभी अपनी माता का ख्याल रखने के लिए पहुंच जाती हैं। बिंदरू देवी के दो भाई और दो बहनें हैं। लेकिन जानकारी के अभाव के चलते पिता के नाम की डेढ़ बीघा जमीन भी अभी तक उसके नाम नहीं हो पाई। गुफा में न तो बिजली है और न ही कोई अन्य सुविधा।
जिप सदस्य बोले-कागजात पूरे करवाएंगे
जिला परिषद सदस्य परमार ने अपने घर में लगी सोलर लाइट गुफा के आंगन में लगाकर गुफा को रोशन किया। कहा कि वह बिंदरू देवी के सभी कागजात तैयार करवाएंगे, जिसकी उसे जरूरत है।
पलेही पंचायत की प्रधान सुषमा मेहता का कहना है कि बिंदरू देवी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए सर्वे में डाला जा चुका है। स्वीकृति मिलते ही मकान बनाकर देंगी।
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