शिमला : भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (एडवांस स्टडी) आज ’गांधी और अन्य भारतीय विचारकों के विशेष संदर्भ के साथ अर्थायामः गाँधी एवम् आधुनिक भारतीय चिंतकों के धर्म. केंद्रित अर्थ.दर्शन के अंतर्विषयी अनुशीलन विषय पर आयोजित दिवसीय शीतकालीन स्कूल का समापन हुआ।
इस शरद स्कूल के समन्वयक पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ के प्रोफेसर सुधीर कुमार थे।
समापन अवसर पर पधारे मुख्य अतिथि प्रख्यात विद्वान आचार्य महेश शर्मा ने अपने विद्वतापूर्ण व्याख्यान में भारत की ज्ञान परंपरा व जीवन दृष्टय के केन्द्र में धर्म की अवधारणा के महत्व को पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के जीवन उनके कृतत्व, व्यक्तित्व और स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्भुत योगदान को रेखांकित किया। इस स्कूल के अंतर्गत विभिन्न सत्रों में विद्वानों ने कई महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किए। जानेमाने शिक्षाविद संस्थान के अध्यक्ष प्रोफेसर कपिल कपूर ने अपने व्याख्यान में मातृभाषा की भूमिका और उसकी महता पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त उन्होंने देश की नई शिक्षा नीति में भाषा के महत्व तथा भारतीय भाषाओं के व्याकरण के अध्ययन पर बल दिया। केन्द्रीय विश्वविद्यालय पंजाब, भटिंडा के कुलाधिपति प्रोफेसर जगबीर सिंह ने अपने व्याख्यान में इस बात पर बल दिया कि भारतीय सभ्यता में अनेक गहन विचार हैं जो आज के भारत के अर्थायाम में सहायक हैं। उन्होंने सिख धर्म में अर्थ के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सिख धर्म सप्तसिंधु की सभ्यता की धार्मिक परंपरा का हिस्सा है। वहीं दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली के प्रोफेसर रविन्द्र सिंह ने गुरु नानक देव के सच्चे सौदे की महता तथा सिख धर्म की लोक केन्द्रित शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर चमन लाल गुप्त ने अर्थायाम को लेकर महात्मा गाँधी तथा पण्डित दीन दयाल उपाध्याय के बारे में तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया। अन्य वक्ताओं के क्रम में प्रोफेसर अम्बिका दत्त शर्मा, प्रोफेसर शरद देश पाण्डे, प्रोफेसर भरत देसाई, प्रोफेसर आर.सी. सिन्हां, डॉ. पंकज सक्सेना, डॉ. पंकज बसोटिया, डॉ. रामास्वामी सुब्रमोनी, प्रोफेसर संगीत रागी, प्रोफेसर कुसुम लता केडिया, डॉ. बलराम शुक्ल प्रमुख विद्वान थे।
शरद स्कूल के समापन अवसर पर संस्थान व वाणी प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में प्रकाशित हिंदी पत्रिका हिमांजलि के अंक-23 का भी लोकापर्ण किया गया। शोध-पत्रिका का रूप ग्रहण कर चुकी संस्थान के राजभाषा एकक यह पत्रिका आईएसएसएन नंबर प्राप्त है और हाल ही में इसे यूजीसी केयर लिस्ट में सम्मिलित किया गया है। हिमांजलि पत्रिका में संस्थान के अधिकारियों/कर्मचारियों, अध्येताओं व सह-अध्येताओं के अलावा देश के शीर्ष विद्वानों के आलेख भी शामिल किए जाते हैं।
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