कुल्लू : देवताओं की भूमि कहे जाने वाली कुल्लू घाटी के गाड़पारली पंचायत के मझाण में हुए अग्निकांड में आंखों के सामने ही 27 परिवारों के आशियाने राख हो गए। इस भयावह अग्निकांड में 26 गोशालाएं और दो मंदिर भी जलकर राख हो गए। इससे ये परिवार अपने मवेशियों के साथ इस सर्द मौसम में खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं।
जिन 27 परिवारों के आशियाने राख हुए हैं उनमें करताप चंद पुत्र बैसाखू राम के दो मकान तथा मोहर सिंह पुत्र बैसाखू राम, नारा देवी पत्नी हरि राम, कर्म चंद पुत्र देवराज, देव राज पुत्र बैसाखू राम, नोक सिंह पुत्र संगत राम, मीर चंद पुत्र ठाकुरदत्त, जोग राज पुत्र ठाकुरदत्त, ध्यान सिंह पुत्र हरफी राम, तारा चंद पुत्र रेपती राम, जगदीश पुत्र रेपती राम, जीत राम पुत्र फतेह चंद, यान सिंह पुत्र हीरे लाल, राजकुमार पुत्र फतेह चंद, भगीरथ पुत्र फतेह चंद, अनिरुद्ध पुत्र फतेह चंद, लोत राम पुत्र चुने राम, तीर्थ राम पुत्र लोत राम, कुन्ज लाल पुत्र तेजा सिंह, धुप सिंह पुत्र तेजा सिंह, तेजा सिंह पुत्र चुने राम, शेर सिंह पुत्र दीप चंद व टेक राम पुत्र चेतु राम के आशियाने राख हुए हैं। साथ ही इन परिवार के लोगों की गऊशाला भी जल कर राख हुई है। इस अग्निकांड ने भगवान के ।मंदिरों को भी नहीं छोड़ा। गांव के दो मंदिर देवता राई नाग तथा जाड़ा नाग देवता के मंदिर को भी इस अग्निकांड को स्वहा कर दिया। प्रशासन ने इस अग्निकांड में 9 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है, लेकिन जानकारों का मानना है कि इस अग्निकांड से इससे कहीं अधिक नुकसान हुआ होगा।
उल्लेखनीय है कि गत शनिवार को कुल्लू जिले की सैंज घाटी की गाड़ापारली पंचायत के अति दुर्गम गांव मझाण में दोपहर के समय भीषण अग्निकांड में गांव के 27 मकान जलकर राख हो गए थे।गाड़पारली पंचायत के मझाण में हुए इस भीषण अग्निकांड में आंखों के सामने ही अपना आशियाना जलता देख ग्रामीण रोते-बिलखते रहे। गांव में चीख-पुकार मचती रही। लोग मदद के लिए एक-दूसरे को पुकारते रहे। जब कोई मदद नहीं मिली तो लोगों ने मिट्टी डालकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया, जो नाकाफी रहा। छोटे-छोटे बच्चें भी अपनी आंखों से सामने अपने आशियाने को जलता देख आंसुओं को नहीं रोक पाए।गांव में कुछ देर के लिए मातम जैसा मौहाल रहा। लोग मदद के लिए इधर-उधर भागते नजर आएं। आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। बुजुर्ग भी उम्रभर की जमा पूंजी का जिक्र करते रहे। इस घटना में बच्चों की किताबें, वर्दी और बैग भी जलकर राख हो गए। इस घटना में पीड़ितों की उम्रभर की जमापूंजी राख हो गई।
करोड़ों रुपये के ये सभी घर काष्ठकुणी (लकड़ी) शैली से बनाए गए थे। गांव से सड़क दस किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पीने के लिए पानी भी नहीं है। पूरा गांव एकमात्र प्राकृतिक जलस्रोत पर निर्भर है। ऐसे में ग्रामीणों ने खेतों से मिट्टी खोदकर जलते आशियानों पर फेंकी लेकिन देखते ही देखते घर राख के ढेर में बदल गए।
इस गांव में मोबाइल सिग्नल भी नहीं है। लिहाजा, दूसरे गांववालों से भी मदद नहीं मांगी जा सकी।
आज उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग अग्निकांड वाले गांव का दौरा करेंगे और प्रभावित परिवारों से मिलेंगे।
एम्स चमियाना में बनेगी सराय, उपायुक्त ने दिए संयुक्त साइट निरीक्षण करने के आदेश
एम्स चमियाना में सराय निर्माण को लेकर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक आयोजित उपायुक्त ने दिए संयुक्त साइट निरीक्षण करने...
Read more