शिमला : भारी संख्या में नाराज पुलिस जवान गत दिन जेसीसी की बैठक में मांगे पूरी न होने तथा अपने नियमित वेतन की मांग को लेकर आज मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिले तथा उनके समक्ष अपनी मांगे पूरी करने की गुहार लगाई। साथ ही पुलिस जवानों ने मुख्यमंत्री के उनकी मांग को पूरा करने के आश्वासन देने के बावजूद विरोध स्वरूप कल तक अपनी मैस को बंद रखने का निर्णय लिया है। जवानों का कहना है कि वह सरकारी मैस में खाना नहीं खाएंगे। आप को बता दें मामला यह है कि पुलिस को नियमित आधार पर भर्ती की जाती है, लेकिन उन्हें रेगुलर पे स्केल 8 साल बाद मिलता है। जबकि अनुबंध पर नियुक्त कर्मचारियों को अब दो साल बाद नियमित किया जाएगा। पुलिस जवान भी 8 साल के स्थान पर 2 साल बाद संशोधित वेतनमान की मांग कर रहे हैं।
जेसीसी में मायूसी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश के पुलिस कर्मियों ने विरोध स्वरूप मेस का खाना छोड़ दिया है। पुलिस कर्मियों के इस रुख के बाद आनन-फानन में नाराज पुलिस कर्मियों को बैठक के लिए ओक ओवर बुलाया।
पुलिस जवानों के ओक ओवर पहुंचने पर मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त व अन्य उच्चाधिकारियों के साथ पुलिस कर्मियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई। बैठक के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पुलिस जवानों को उनकी मांगों पर रास्ता निकालने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद पुलिस जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस जवानों का तकनीकी मामला है। जिसे अधिकारियों के साथ पुलिस जवानों के प्रतिनिधि मिलकर सुलझाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा पुलिस जवानों की समस्या को हल करने की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तक पुलिस जवानों की मांगों को लेकर सही जानकारी नहीं थी। पुलिस के जवान उनके अनुबंध को 8 साल से घटाकर अन्य कर्मचारियों के बराबर करने की मांग करते आए हैं। जब उनकी इस मांग को संबंधित अधिकारियों को भेजा गया तो उन्हें बताया गयाकि पुलिस जवानों की भर्ती नियमित आधार पर की जाती है। इसलिए कन्फ्यूजन के कारण उनका मामला नहीं सुलझ पाया। लेकिन आज की इस बैठक में स्थिति स्पष्ट हुई है।
मुख्यमयंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 से पहले पुलिस भर्ती नियम कुछ ओर थे तथा 2015 के बाद पुलिस भर्ती के नियम बदल गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त को भी बुलाया गया था। इसके बाद निर्णय लिया गया है कि कल यानि सोमवार को पुलिस जवानों के प्रतिनिधि एसीएस वित्त तथा कंट्रोलर के साथ बैठक करेंगे तथा इस समस्या के समाधान का रास्ता निकालेंगे। उन्होंने पुलिस जवानों से निराश न होने सुझाव दिया तथा कहा कि पूरा अध्ययन करने के बाद अगला निर्णय लियाजाएगा। मुख्यमयंत्री ने कहा कि उनकी भर्ती की जो शर्ते हैं, उसके लिए वर्तमान सरकार दोषी नहीं है। उस समय भर्ती नियमों में क्यों बदलाव किया गया, यह तत्कालीन सरकार के लोग ही बता सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस जवानों की तूलना फारेस्ट गार्ड व जेल पुलिस के साथ भी नहीं हो सकती है, क्योंकि उनकी नियुक्ति अनुबंध आधार पर होती है तथा जवानों की नियुक्ति नियमित आधार पर की जाती है। इसलिए बैठक कर रास्ता निकालना पड़ेगा।
लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन से भी पुलिस जवान संतुष्ट नहीं हुए तथा उन्होंने अपने आंदोलन को जारी रखने का निर्णय लिया।
उल्लेखनीय है कि जेसीसी में मायूसी मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश के पुलिस कर्मियों ने विरोध स्वरूप मेस का खाना छोड़ दिया है। पुलिस कर्मियों के इस रुख के बाद आनन-फ ानन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नाराज पुलिस कर्मियों को बैठक के लिए ओक ओवर बुलाया था। बता दें कि 29 अक्तूबर को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला आया था। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की दलीलों और नियमों एवं कानून के मद्देनजर पुलिस कर्मियों की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया है कि भर्ती के समय आवेदकों को स्पष्ट बताया था कि वे किस पे स्केल के पात्र होंगे और कितने समय बाद उन्हें संशोधित वेतनमान मिलेगा।
कुछ पुलिस कर्मियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 1 सितंबर 2015 में भर्ती कांस्टेबल ने कोर्ट से आग्रह किया था कि उन्हें संशोधित वेतनमान का लाभ 2 वर्ष की नियमित सेवा के बाद दिया जाए। सरकार ने कोर्ट को बताया कि संशोधित वेतनमान 1 जनवरी 2015 से पूर्व भर्ती कांस्टेबल को ही देय है और सरकार की यह व्यवस्था कानूनों को देखते हुए बनाई गई है।
मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद भी पुलिस जवानों ने अपनी मेस बन्द रखने का निर्णय लिया है। पुलिस जवानों के एक प्रतिनिधि ने कहा कि आश्वासन से कुछ नहीं होगा. पहले करकेदिखाना होगा। जवानों का कहना है कि वह सरकारी मेस में खाना नहीं खाएंगे। अब देखना है कि सोमवार को होने वाली अधिकारियों के साथ बैठक में क्या परिणाम निकलते हैं।