चंबा: हिमाचल प्रदेश के विकास खंड मैहला के अंतर्गत आने वाली गाण पंचायत के दर्जन भर गांवों में खुरमुंह बीमारी फैल गई है। दुर्गम गाण पंचायत के छतड़, सकरैणा, बनेई, डकेड़, ढांगू, रैणा, रौ, उलाणी, धार सहित अन्य गांवों में मवेशी खुर मुंह की बीमारी की गिरफ्त में हैं। इस बीमारी की जद में क्षेत्र की सैकड़ों भेड़-बकरियां आ चुकी हैं। इससे पशुपालक परेशान है तथा उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। स्थानीय पशुपालकों ने जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग से उनके पशुधन को बचाने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास करने की गुहार लगाई है। इस बीच
बीमारी की पकड़ में आने पर अब अधिकांश भेड़पालकों ने पंजाब की तरफ अपनी भेड़-बकरियों को लेकर कूच करना शुरू कर दिया है।
हैरानी की बात ये है कि पहाड़ों पर बीमारी से जूझ रही भेड़-बकरियां चल-फिरने में भी असमर्थ हैं। लिहाजा, खच्चरों पर भेड़-बकरियों को लाद कर सड़क तक लाने में भेड़पालक जुट गए हैं.
भेड़पालकों ने बताया कि उनकी भेड़-बकरियां बीमारी की हालत में अब चल-फिरने में भी असमर्थ हैं। आए दिन कोई न कोई भेड़-बकरी मर रही है। इसके अलावा पहाड़ों पर भेड़-बकरियों को लेकर गए भेड़ पालक अब पंजाब का रूख करने लग पड़े हैं। वह खच्चरों के माध्यम से वे बीमार भेड़-बकरियों को सड़क तक लाने को मजबूर हैं।
वहीं, पशुपालन विभाग के उपनिदेशक राजेश सिंह ने बताया कि पंचायत में चिकित्सीय टीम को भेजा गया है और दवाइयों बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है। उन्होंने कहा कि पशुधन बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
गौर रहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग भेड़-बकरियों का पालन-पोषण कर ही परिवारों का भरण-पोषण करते हैं। समय पर उपचार न मिलने से अब पशुपालकों को उनके समस्त मवेशियों में ये बिमारी फैलाने का अंदेशा है।
उल्लेखनीय है कि खुरमुंह की बीमारी का संक्रमण एक बीमार पशु से दूसरे पशुओं के संपर्क में आने से फैलता है। इसकी चपेट में आने के बाद कई पशुओं की मौत हो जाती है जो पशु बीमारी के बाद ठीक हो जाते हैं, उनकी प्रजनन क्षमता कई साल के लिए खत्म हो जाती है। दुधारू पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है। इसलिए समय पर इसका उपचार जरूरी है।
हिमाचल में आगामी चुनावों में 5711969 मतदाता अपने मताधिकार का करेंगे प्रयोग
दिव्यांगजन मतदाताओं की संख्या में वर्ष 2019 के मुकाबले 52.63 प्रतिशत की वृद्धि : मनीष गर्गशिमला : मुख्य निर्वाचन अधिकारी...
Read more