शिमला : नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। 10 अक्टूबर को पांचवी नवरात्रि है। क्योंकि इस बार दो तिथियां एक साथ पड़ने की वजह से नवरात्रि आठ दिन ही चलेंगे. मां चंद्रघंटा और कुष्मांडा का पूजन एक ही दिन यानी 9 अक्टूबर का किया गया।
इसलिए 10 अक्तूबर को नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाएगी। स्कंदमाता अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।
मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है। मां का वाहन सिंह है। मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।
मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन स्नान आदि से निवृत होने के बाद बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर स्कंदमाता का स्मरण करें। इसके पश्चात स्कंदमाता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प अर्पित करें। उनको बताशा, पान, सुपारी, लौंग का जोड़ा, किसमिस, कमलगट्टा, कपूर, गूगल, इलायची आदि भी चढ़ाएं। फिर स्कंदमाता की आरती करें। स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय भी प्रसन्न होते हैं। मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।
मां का भोग
मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।
संतान सुख की प्राप्ति होती है
स्कंदमाता की पूजा का महत्व
विधि विधान से पूजा कर स्कंदमाता को प्रसन्न करने से शत्रु आपको पराजित नहीं कर पाते हैं। संतान की चाह रखने वाले लोगों को संतान की प्राप्ति होती है। माता मोक्षदायिनी भी हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है
स्कंदमाता का मंत्र…
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2. महाबले महोत्साहे। महाभय विनाशिनी।
त्राहिमाम स्कन्दमाते। शत्रुनाम भयवर्धिनि।।
3. ओम देवी स्कन्दमातायै नमः॥
स्कंदमाता बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।