शिमला, हिम सिने सोसायटी शिमला के तत्वावधान में आज “राष्ट्र जागरण में सिनेमा की भूमिका” विषय पर एक महत्वपूर्ण आभासी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश सहित विभिन्न प्रांतों से जुड़े लगभग 75 कलाकारों, अभिनेताओं, साहित्यकारों, रंगकर्मियों और बुद्धिजीवियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता प्रख्यात निर्देशक, लेखक और अभिनेता डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी (प्रसिद्ध चाणक्य धारावाहिक के निर्माता-निर्देशक) रहे। उन्होंने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि –
“सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन भर नहीं है, बल्कि दृश्य-श्रव्य माध्यम के जरिए सामाजिक और राष्ट्रीय संदर्भों को जन-जन तक पहुँचाने का एक सशक्त औजार है। आज यह चुनौती भरा कार्य अवश्य है, परंतु नए संचार माध्यमों के विस्तार ने इसे और भी सुलभ बना दिया है। हमें चाहिए कि नवोदित फिल्मकार राष्ट्र और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझें और सिनेमा को जागरण का माध्यम बनाएं।”
डॉ. द्विवेदी ने आगे कहा कि राष्ट्र जागरण के प्रति सिनेमा पहले भी सक्रिय रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर स्वतंत्र भारत के निर्माण तक फिल्मों ने राष्ट्रीय एकता और जागरूकता को बल दिया। किंतु आज उद्योगवाद और व्यावसायिकता के दबाव में हिंदी सिनेमा कहीं न कहीं अपने राष्ट्रीय और सामाजिक दायित्वों से विमुख होता दिखाई देता है।
प्रांत प्रचार प्रमुख प्रताप सिंह समयाल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि –
“आने वाले समय में वैचारिक स्तर पर हो रहे परिवर्तनों को सिनेमा के जरिए जनता तक पहुँचाना आवश्यक है। प्रदेश में सिनेमा केवल मनोरंजन का माध्यम न होकर, देश, धर्म, राष्ट्र और संस्कृति के प्रति जिम्मेदारियों और विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का सेतु बने।”
कार्यशाला का संचालन करते हुए हिम सिने सोसायटी के उपाध्यक्ष संजय सूद ने बताया कि यह आयोजन वास्तव में एक संवाद का मंच बना, जिसमें जिला कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, चंबा, बिलासपुर, हमीरपुर, अंबाला और कांगड़ा के प्रतिभागियों ने अपने विचार साझा किए और डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी से सीधा संवाद भी किया।
अंत में सोसायटी के फिल्म आयाम प्रमुख भारतीय कुठियाला ने सभी प्रतिभागियों और विशेषकर मुख्य वक्ता डॉ. द्विवेदी का आभार व्यक्त किया।