बिना पक्षपात डेट ऑफ़ डेथ के हिसाब से बहाल की जाए करुणामूलक नौकरियां : उपाध्यक्ष बॉबी शुर्ता
शिमला : करुणामूलक संघ ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। संघ ने आज सरकार को कांग्रेस द्वारा चुनावों के समय किए वायदों को याद दिलाया तथा वायदों को पूरा नहीं करने पर संघर्ष करने की चेतावनी दी है। आज शिमला में करुणा मूलक संघ उपाध्यक्ष बॉबी शुर्ता ने प्रेस वार्ता में कहा कि सरकार 3234 मामलों को करुणा के आधार पर क्यों नहीं देख रही इन परिवारों दर-दर की ठोकरे खाने को क्यों मजबूर कर रही !
उन्होंने सवाल किया कि क्यों इन परिवारों को ठगा जा रहा है सबकमेटी का हवाला देकर तारीखो को पर तारीख दी जा रही !
मुख्यमंत्री और मंत्रियों को क्यों इन परिवारों पर दया नही आ रही !
माना कि यह परिवार रसूकदारो की घरों से संबंध नहीं रखते लेकिन है तो इंसान जब आल्हा अधिकारियों की बात आती तो स्पेशल कैस बनाकर कैबिनेट से निकालकर रातों-रात नौकरियां दी जाती है !
जब मध्यम वर्गीय परिवारो की बात आए तो उनके लिए 62500 वाली पॉलिसी यह मध्यमवर्गीय परिवार जाए तो जाए कहां किस से न्याय की गुहार लगाये ! विधानसभा इलेक्शन के समय बड़े-बड़े वादे इन परिवारों के लिए किए गए ऐसा कोई जन मंच नहीं है जहां पर इन परिवारों की आवाज ना उठी हो कहा था कि सुख की सरकार व्यवस्था परिवर्तन वाली सरकार 6 महीना के भीतर सभी परिवारों को नौकरियां देगी लेकिन आज इन्हीं परिवारों से नजरे फेरी जा रही है सरकार के द्वारा !
करुणामूलक संघ उपाध्यक्ष बॉबी शुर्ता ने कहा कि सरकार दया की दृष्टि से क्यों नहीं देखती मुख्यमंत्री को आईपीएस के परिवार पर दया आ गई क्या मध्यम वर्गीय परिवार केवल वोट बैंक है
उपाध्यक्ष बॉबी शुर्ता द्वारा कहा गया जिस पॉलिसी के आधार पर आईपीएस के बेटे को नौकरी दी गई रातो रात क्या उसी पॉलिसी के आधार पर 3234 करुणा मूलक मामलों को नहीं देखा जा सकता उन परिवारों को नौकरी नहीं दी जा सकती चहेतों को ही क्यों
15 से 20 सालों से जो परिवार नौकरी का वेट कर रहे हैं और लाइनों में लगे हैं क्या उन भाइयों की उम्र नहीं निकल रही उन करुणा मुल्क भाईयो ने भी तो अपना घर परिवार चलाना है ! लेकिन मौजूदा सरकार भी इन परिवारों को तारीखों पर तारीख दे रही आखिर यह परिवार जाए तो जाए कहां किस से न्याय की गुहार लगाए!!
जबकि जितनी भी सरकारें आई इन परिवारों को हमेशा ठगा ही गया है जबकि इस समय भी यह परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस की सरकार ने सत्ता में आने से पहले करुणामूलकों कर लुभाने वाले वायदे परिवारों के साथ किए थे कि सरकार बनते ही 6 महीने के अंदर करुणामूलकों परिवारों को रोजगार दिया जाएगा जबकि ढाई साल होने वाले हैं परंतु आज भी यह परिवार नौकरी के लिए तरस रहे हैं क्योंकि सब कमेटी मीटिंग के लिए तारीख पर तारीख है डाल रही है और करुणामूलकों का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है और तारीख पर तारीख के रख के इन परिवारों को ठगा जा रहा है
उन्होंने कहा कि सरकार से निवेदन कर रहे हैं कि बिना किसी शर्त के करुणामूलकों की नौकरियां बहाल की जाए |
बॉबी शुर्ता का कहना यह भी है कि सुख की सरकार अगर सच में जरूरतमंदों , दीन दुखियों और गरीबों की सरकार है तो कृपया करुणामूलकों के दर्द को समझें और करुणामूलको के लिए जल्द से जल्द सब कमेटी की अंतिम मीटिंग लें और कोई ना कोई समाधान निकाले और नौकरी हेतु व्यवस्था करें !
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बता दे करुणामूलक संघ हिमाचल प्रदेश के बैनर तले पूर्व सरकार के समय भी प्रदेश भर के करुणामूलक आश्रित 432 दिनों का संघर्ष भूख हड़ताल के रूप में जिला शिमला में कर चुके हैं जबकि प्रदेश के हर कोने-कोने से अपनी आवाज को बुलंद कर चुके हैं |
मुख्य मांगे
1) आगामी कैबिनेट में 7/03/2019 पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 62500 एक सदस्य सालाना आय शर्त को पूर्णतया हटा दिया जाए और सालाना आय सीमा को 2.50 लाख से उठाकर ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए |
2) वित्त विभाग के द्वारा रिजेक्ट केसों को दोबारा कंसीडर न करने की नोटिफिकेशन जो 22 सितंबर 2022 को हुई थी उस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और रिजेक्ट केसों को द्वारा कंसीडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए |
3) करुणामूलक भर्तियों में जो 5% कोटे की शर्त जो लगी हुई है उसे हटाया जाए ताकि one time relaxation के आधार पर एक साथ नियुक्तियां हो सके और जिन विभागों बोर्डों और निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नहीं है उन केसों को शिफ्ट करके किसी अन्य विभाग में नौकरियां दी जाए |
4) शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सभी श्रेणियों (Techanical + Non Techanical) के सभी पदों में नौकरियां दी जाए ताकि किसी एक पद पर बोझ न पड़े |
उन्होंने सीएम से आग्रह करते हुए कहा कि महोदय जैसे ही पॉलिसी में संशोधन हो जाए उसके तुरंत बाद बिना किसी भेदभाव के Date Of Death of Deceased की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ किसी तरीके का भेदभाव न हो क्योंकि सभी परिवारों ने अपने परिवार के कमाने वाले मृतक कर्मचारी/मुखिया को खोया है |