शिमला : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में हो रही बेमौसमी वर्षा, तापमान में गिरावट व लगातार ओलावृष्टि से फसलों को हुए भारी नुक्सान को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करती है जिससे किसान व बागवान को आर्थिक रूप से भी भारी नुक़सान उठाना पड़ा है । इससे इनका संकट और अधिक बढ़ गया है तथा वह पूरी तरह से परेशान है। सीपीआईएम नेता संजय चौहान ने कहा कि प्रदेश में इस प्राकृतिक आपदा के चलते लगभग सभी फसलों जिसमें सेब, नाशपाती, आम, गुठलीदार फल, बेमौसमी सब्जियां, गेहूं आदि खराब हुए हैं व करोड़ों रुपए का नुकसान किसानो व बागवानों को हुआ है। पार्टी मांग करता है कि सरकार तुरन्त इस नुक़सान का आंकलन कर किसानो व बागवानों को उचित मुआवजा प्रदान करे व जिन किसानों व बागवानों ने फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा करवाया है उनको तुरन्त इसकी भरपाई की जाए। इसके साथ ही सरकार किसानों व बागवानों के द्वारा लिए गए कर्ज की वसूली पर भी तुरन्त रोक लगाई जाए व सेब उत्पादकों का मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत लिए गए सेब का करीब 90 करोड़ रुपए का बकाया भुगतान तुरन्त कर किसानो व बागवानों को राहत प्रदान की जाए।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में इस बेमौसमी बारिश, तापमान में गिरावट व लगातार हो रही भारी ओलावृष्टि से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। अकेला सेब की ही करीब 60 प्रतिशत से अधिक फसल नष्ट हो गई है जिससे प्रदेश के सेब उत्पादकों को करोड़ो रुपए का नुक़सान हुआ है। इसके कारण कई क्षेत्रों में तो सेब की फसल 90 प्रतिशत बर्बाद हो गई है तथा बागवानों के पास रोजमरा का खर्च चलाने का भी संकट खड़ा हो गया है। किसान व बागवान आज सरकार से दरकार लगाए रखा है परन्तु सरकार इस ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रही है और अभी तक कोई भी उचित आंकलन तक इस नुक़सान का नही करवा पाई है। प्रदेश मे सेब की आर्थिकी करीब 6000 करोड़ रूपए की है प्रदेश की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
एक ओर सरकार कृषि व बागवानी के क्षेत्र में जो सहायता प्रदान करती थी उसे समाप्त कर रही है, जिसके चलते किसानो व बागवानों को खुले बाज़ार से महंगी लागत वस्तुओं को खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से किसानो व बागवानों की फसल बर्बाद होने से आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। सरकार की सहायता के बिना आज इस कृषि संकट से बाहर निकलना किसान के लिए बिलकुल भी संभव नही है। कृषि संकट की गंभीरता को देखते हुए सरकार तुरन्त अपने दायित्व का निर्वहन कर कृषि व बागवानी क्षेत्र के लिए एक आपदा राहत कोष स्थापित करे तथा किसानो व बागवानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान का तुरन्त आंकलन करवा कर इसकी भरपाई के लिए उचित मुआवजा इस कोष से तुरन्त उपलब्ध करवा कर राहत प्रदान करे।
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