शिमला : विशाल मेगामार्ट वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की बैठक शिमला में सपन्न हुई। बैठक में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,राज्य सचिव रमाकांत मिश्रा,जिला सचिव बालक राम,यूनियन अध्यक्ष भूप सिंह भारद्वाज,अमित कुमार,रवि,हनी,सुरेंद्र,देवेंद्र,अमित कुमार ,विनीत, प्रेम,अमृता,अजय,सूरज, निशांत,वासु,हरीश, प्रीति, पिंकी,सुकर्मा, भूषण,आशीष,अंजू,वीर सिंह आदि मौजूद रहे। यूनियन ने निर्णय लिया है कि अपनी मांगों को लेकर मजदूर 19 सितम्बर से आंदोलन शुरू करेंगे। यूनियन ने प्रबंधन को चेताया है कि अगर मजदूरों की मांगों को तुरन्त पूर्ण न किया गया तो यूनियन गेट मीटिंग,काले बिल्ले,आम सभा,धरना,प्रदर्शन व हड़ताल करके आंदोलन तेज करेगी।
बैठक को सम्बोधित करते हुए सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व यूनियन अध्यक्ष भूप सिंह भारद्वाज ने मजदूरों से आह्वान किया कि वे केंद्र व प्रदेश सरकार के वेतन सम्बन्धित न्यूनतम वेतन कानून 1948 व हिमाचल प्रदेश के दुकान एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1969 को लागू करवाने के लिए एकजुट हों व आंदोलन शुरू करें। प्रदेश की राजधानी शिमला में प्रदेश सरकार सचिवालय की नाक के नीचे स्थित विशाल मेगामार्ट में कानून की धज्जियां उड़ रही हैं। मजदूरों को न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश के शेडयूल एम्प्लॉयमेंट के अनुसार इन मजदूरों का वेतन श्रेणी के अनुसार 12191 से लेकर 12636 रुपये बनता है जबकि इन्हें मात्र 10500 रुपये वेतन दिया जा रहा है। इस तरह एक – एक मजदूर को लगभग दो हज़ार रुपये प्रतिमाह का नुकसान हो रहा है। श्रम विभाग ने भी कानून को लागू करवाने से अपना पल्ला झाड़ लिया है। कानून लागू न करने पर विशाल मेगामार्ट नियोक्ता अथवा प्रबंधन पर जुर्माना होना चाहिए था परन्तु ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। प्रबंधन हर रविवार को स्टोर खुला रख रहा है व उस दिन मजदूरों को कानूनी रूप से देय साप्ताहिक अवकाश नहीं दे रहा है जबकि हिमाचल प्रदेश दुकान एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठान अधिनियम 1969 साफ कहता है कि दुकानें व व्यापारिक प्रतिष्ठान रविवार को बन्द रहने चाहिए। रविवार को स्टोर खुला रहने पर प्रबंधन का चालान होना चाहिए था परन्तु श्रम विभाग इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार व श्रम विभाग से मांग की है कि वे इस स्टोर को रविवार को बन्द करवाएं व मजदूरों को रविवार की छुट्टी की सुविधा उपलब्ध करवाएं। उन्होंने कहा कि मजदूरों को 26 जनवरी,15 अगस्त व 2 अक्तूबर के राष्ट्रीय अवकाश भी नहीं मिल रहे हैं। उन्होंने श्रम विभाग से मांग की है कि वह मजदूरों को राष्ट्रीय अवकाश की सुविधा दिलवाए व शेडयूल एम्प्लॉयमेंट को लागू करवाए। उन्होंने हैरानी जताई है कि प्रबंधन मजदूरों के ईपीएफ में भी गड़बड़ी कर रहा है व उसमें भारी अनिमितताएँ हैं परन्तु ईपीएफओ,ईपीएफ कमिश्नर व निरीक्षक भी इस संदर्भ में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मजदूरों को ईएसआई सुविधा भी नहीं दी जा रही है। उन्होंने प्रबंधन को चेताया है कि अगर श्रम कानून लागू न किये गए तो आंदोलन तेज होगा।