शिमला : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जम्वाल ने आज पार्टी के प्रदेश कार्यालय में ‘बलिदान दिवस’ के अवसर पर देश की एकता एवं अखंडता के अग्रदूत और राष्ट्र के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को श्रद्धांजलि दी और उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
डॉ मुखर्जी जी को नमन करने के पश्चात् त्रिलोक ने कहा कि आज यदि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो इसके पीछे हमारे संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का अमर बलिदान भी है। उन्होंने देश की एकता के लिए ‘एक विधान, एक प्रधान और एक निशान’ का नारा दिया था और इसी के लिए अपना बलिदान भी दिया। आज माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में डॉ मुखर्जी जी का सपना साकार हुआ है। जिस धारा 370 के उन्मूलन के लिए उन्होंने सर्वोच्च बलिदान दिया था, उसे धाराशायी करने का काम भी हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने किया है। धारा 370 का उन्मूलन और जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाना हमारी ओर से डॉ मुखर्जी जी को सच्ची श्रद्धांजलि है।
प्रदेश महामंत्री ने डॉ मुखर्जी जी की संदिग्ध मौत की साजिश में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि डॉ मुखर्जी जी ने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 लागू करने का विरोध किया था, पर पंडित नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते ही डॉ मुखर्जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जहां 23 जून 1953 को संदिग्ध अवस्था में उनका देहावसान हो गया। उन्होंने डॉ मुखर्जी जी की पूज्य माता आदरणीया योगमाया देवी जी द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को लिखे पत्र का अंश सुनाते हुए कहा कि उनकी पूज्य माता जी ने लिखा था कि “मैं तम्हारी सफाई नहीं चाहती हूं, बल्कि जांच चाहती हूं। तुम्हारी दलीलें थोथी है और तुम सत्य का सामना करने से डरते हो। याद रखो, तुम्हे जनता और ईश्वर के सामने जबाव देना होगा। मैं अपने पुत्र की मृत्यु के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को जिम्मेदार समझती हूं और उस पर आरोप लगाती हूं कि उसने ही मेरे पुत्र की जान ली है। मैं तुम्हारी सरकार पर आरोप लगाती हूं कि इस मामले को छुपाने और सांठ-गांठ करने का प्रयत्न किया गया है।“ जम्वाल ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू जी ने इस पत्र का कोई जबाव नहीं दिया। यह अपने आप में बहुत सारे राज छिपाता है। भाजपा के कार्यकर्ताओं के सामने यह प्रश्नवाचक चिह्न आज भी है कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की आकस्मिक और संदेहास्पद स्थिति में हुई मौत की जांच क्यों नहीं की गई? ये कई सारे सवाल खड़े करता है।
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद करते हुए त्रिलोक ने कहा कि डॉ मुखर्जी बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। वे एक राष्ट्रभक्त, शिक्षाविद् और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोद्धा थे। डॉ मुखर्जी ने 23 साल की उम्र में बैरिस्टर बनने की पात्रता प्राप्त की और 33 साल की उम्र में ही तब के कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने। वे लंबे समय तक बंगाल की प्रांतीय विधानसभा के सदस्य रहे। बाद में वे यूनियन कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री भी बने लेकिन उन्होंने कभी भी सिद्धांतों और विचारधारा के समझौता नहीं किया। विचारधारा से समझौता नहीं करते हुए उन्होंने बंगाल विधान सभा से त्यागपत्र दिया और उसके बाद फिर से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा सदस्य बने और बंगाल के वित्त मंत्री भी रहे।
अखंड भारत के लिए डॉ. मुखर्जी के योगदान की चर्चा करते हुए जम्वाल ने कहा कि आजादी के वक्त पूरा बंगाल पाकिस्तान में जाने की स्थिति में आ रहा था। डॉ मुखर्जी जी ने पूरा बंगाल को पाकिस्तान में जाने से बचाने में बड़ी भूमिका निभाई। आज यदि पश्चिम बंगाल भारत में है तो उसका श्रेय श्रद्धेय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को ही जाता है। वे पंडित नेहरू के प्रथम मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री भी रहे। एक उद्योग मंत्री के रूप में उन्होंने बहुत ही अच्छा काम किया। देश के औद्योगिक नीति की नींव रखी लेकिन पंडित नेहरु की तुष्टिकरण की राजनीति से नाराज होकर श्रद्धेय मुखर्जी जी ने भारतीय जन संघ की स्थापना की थी। डॉ मुखर्जी ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और अखंड भारत की विचारधारा को लेकर कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना करके देश को मजबूत एवं अखंड रखने के लिए अपनी लड़ाई लड़ी।
जम्वाल ने श्रद्धेय डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के सपनों को साकार करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के प्रति विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि आज हमें इस बात का संतोष है, ख़ुशी है और गर्व भी है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और उनके नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की कुशल रणनीति के बल पर धारा 370 धाराशायी हुआ। जिस सपने को लेकर डॉ मुखर्जी जी ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था, आज वह साकार हो चुका है।भारतीय जनता पार्टी शुरुआत से ही एक सशक्त भारत के निर्माण के लिए समर्पित रही है। आज उनके बलिदान दिवस पर हम सब उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही दे सकते हैं कि हम उनके बताये रास्ते पर चलते रहें और एक सशक्त भारत के निर्माण के लिए मिल जुल कर काम करें देश को मजबूत रखें।
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