हमीरपुर : हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित संस्थान एनआईटी हमीरपुर के 2 छात्रों को अमेजन से 1.12 करोड़ रुपये का सालाना पैकेज मिला है। बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के विशाल श्रीवास्तव और निशित अत्री का अमेजन लंदन में 1.12 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर चयन हुआ है।
हिमाचल प्रदेश के राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर के स्टूडेंट्स का डंका दुनियाभर में बज रहा है। देश-विदेश की नामी कंपनियों में स्टूडेंट्स को जॉब प्लेसमेंट मिल रही है। शुक्रवार को बीटेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के विशाल श्रीवास्तव और निशित अत्री का अमेजन लंदन में 1.12 करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर चयन हुआ है। कंपनी की तरफ से उत्तर प्रदेश के रहने वाले इन दोनों होनहारों को जॉब ऑफर की है. दोनों छात्र अगले साल 2022 में कोर्स पूरा करने के बाद ज्वाइनिंग करेंगे।
बीते छह माह में एनआईटी हमीरपुर के आधा दर्जन छात्रों का चयन एक करोड़ रुपये से अधिक के सालाना पैकेज पर हो चुका है। नौ नवंबर 2021 को हमीरपुर के रहने वाले प्रतीक भरत शर्मा को अमेजन बर्लिन से वार्षिक 1.12 करोड़ रुपये वेतन पैकेज के साथ प्लेसमेंट मिला था। प्रतीक की माता सुमन लता राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जोल सप्पड़ जिला हमीरपुर में शिक्षिका हैं। सिरमौर की एक छात्रा को भी संस्थान से पढ़ाई के दौरान जॉब ऑफर हुई है।
सितंबर में एनआईटी हमीरपुर के कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग दोहरी डिग्री के छात्र निशांत हाडा का चयन अमेरिका की एक फाइनेंस कंपनी में 1.51 करोड़ के सालाना पैकेज पर हुआ है। सिरमौर निवासी बीटेक कंप्यूटर साइंस अंतिम वर्ष की छात्रा सभ्या सूद का चयन अक्तूबर में यूके की अमेजन कंपनी में 1.09 करोड़ के सालाना पैकेज पर हो चुका है। सभ्या सूद हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के राजगढ़ की रहने वाली हैं। एनआईटी हमीरपुर के निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी ने दोनों विद्यार्थियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।
एनआईटी हमीरपुर का इतिहास
एनआईटी हमीरपुर देश के उन 31 एनआईटी में से एक है, जो सात अगस्त 1986 को भारत सरकार व राज्य सरकार के एक संयुक्त व सहकारी उद्यम के तौर पर क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में अस्तित्व में आया। शुरुआत में संस्थान में सिविल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रत्येक में 30 छात्रों का प्रवेश हुआ था। 26 जून 2002 को इसे डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूप में अपग्रेड किया गया।
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