शिमला : विशेषज्ञों की सिफारिशों पर तय होगा खेती का प्रारूप; अब आबकारी नहीं, कृषि विभाग होगा नोडल डिपार्टमेंट
हिमाचल प्रदेश में भविष्य में भंाग की खेती को कैबिनेट ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। यहां किस तरह से यह खेती होगी और कैसे इसे करवाया जाएगा, इसका पूरा अध्ययन होगा। प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ इस पर अपनी रिपोर्ट देंगे, जिनकी सिफारिशों पर ही सरकार आगे बढ़ेगी।
अहम बात है कि पहले राज्य कर एवं आबकारी विभाग को इसका नोडल डिपार्टमेंट बनाया गया था जिसने कानूनी मामलों को लेकर इसपर विस्तार से अध्ययन किया। अब सरकार ने कृषि विभाग को इसे लागू करने के लिए नोडल डिपार्टमेंट बना दिया है। शुक्रवार को कैबिनेट में इसे मंजूरी दी गई है। इससे पूर्व विधानसभा के मानसून सत्र में भंाग की खेती से जुड़ी सिफारिशों को लेकर विधानसभा कमेटी ने अपने सुझाव दिए थे। एक प्रस्ताव विधानसभा में रखा गया था। इस कमेटी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए अब इस पर रिसर्च करने के लिए सरकार ने डा.वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी तथा चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के विशेषज्ञों को जिम्मेदारी सौंपी है। इनको संयुक्त रूप से भांग की खेती पर एक पायलट अध्ययन करने को कहा गया है, जिनकी सिफारिशों पर कृषि विभाग भंाग की खेती को संचालित करेगा।
बता दें कि सरकार ने राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में विधानसभा की कमेटी को इसका प्रारूप तैयार करने और दूसरे राज्यों में अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। सरकार ने उनकी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था। कमेटी की सिफारिश के मुताबिक, एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 10 के तहत राज्य सरकार को प्रदत शक्तियों के आधार पर