शिमला : 25 से 27 नवम्बर के प्रदेश सरकार सचिवालय छोटा शिमला पर हो रहे महापड़ाव के पहले दिन सैंकड़ों मनरेगा, निर्माण मजदूरों व किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन को सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर,किसान सभा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, विजेंद्र मेहरा, प्रेम गौतम, डॉ कुलदीप तंवर, होत्तम सौंखला, राकेश सिंघा, पुष्पेंद्र त्यागी, जगत राम, जोगिंद्र कुमार, भूपिंद्र सिंह, सोहन ठाकुर, सुदेश ठाकुर व फालमा चौहान आदि ने सम्बोधित किया।
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू व हिमाचल किसान सभा के बैनर तले हिमाचल प्रदेश के सैंकड़ों मनरेगा व निर्माण मजदूर तथा किसान प्रदेश सरकार सचिवालय छोटा शिमला के बाहर लामबंद हुए हैं। उन्होंने कहा कि मजदूर किसान विरोधी मोदी सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव में सत्ता से बेदखल करके ही देश की जनता के कष्टों की मुक्ति संभव है। उन्होंने कहा कि यह तीन दिवसीय महापड़ाव मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने, आंगनबाड़ी, आशा व मिड डे मील योजना कर्मियों को नियमित करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ ही मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने, नौकरी से निकाले गए कोविड कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने, किसानों की कर्ज़ामुक्ति आदि मांगों को लेकर हो रहा है।
उन्होंने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, नौकरी से बाहर किये गए सैंकड़ों कोविड कर्मियों को बहाल करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा में 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तयबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर, मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने व पर्यटन क्षेत्र के मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने की मांग की।