एक चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण करवाया
अभी तक 21 बच्चों को दत्तक ग्रहण करवाया
शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण करवाने में सफलता हासिल हो रही है। शिशु गृह टूटीकंडी शिमला में 02 चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का उनके भावी माता को दत्तक ग्रहण उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने करवाया है। 01 चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट को उत्तराखंड के दंपति ने गोद लिया है, वहीं दूसरे को उत्तर प्रदेश के दंपति ने गोद लिया है। प्रदेश सरकार के सार्थक प्रयासों से बच्चों के नवजीवन को आकार मिल रहा है।
सोमवार को 01 बच्चे के भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण करवाया। 20 दिसंबर 2022 से लेकर 01 सितंबर 2025 तक कुल 21 चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के भावी माता पिता को दत्तक ग्रहण करवाया जा चुका है।
उपायुक्त अनुपम कश्यप ने समाज के समृद्ध लोगों से अपील कि है की वह शिशु गृह और बल-बालिका आश्रमों में पल रहे बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएं ताकि इन बच्चों का सुखद और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।
जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने जानकारी देते हुए बताया कि बच्चा गोद लेने के लिए जिन माता पिता ने आवेदन किया होता है, उन्हें मेरिट के आधार पर दत्तक ग्रहण करवाया जाता है। इसके लिए अधिनियम के मुताबिक जो नियम व शर्तें पूरी करते है, उन्हें ही लाभ दिया जाता है।
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भारत में भारतीय नागरिक, एनआरआई और विदेशी नागरिक हर कोई बच्चे को गोद ले सकता है लेकिन उसके लिए सबसे पहले उन्हें केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण द्वारा बनाए गए नियमों को पूरा करना जरूरी है।
शादीशुदा परिवार के अलावा इसके साथ ही सिंगल पैरेंट या कपल दोनों ही बच्चे को गोद ले सकते हैं। हालांकि मैरिड कपल के लिए कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं।
- अगर कोई शादीशुदा जोड़ा बच्चे को गोद ले रहा है तो उस कपल की शादी को कम से कम 2 साल का समय होना चाहिए।
- गोद लेने वाले बच्चे के माता-पिता को पहले से कोई जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए।
- बच्चे और माता-पिता की उम्र में कम से कम 25 साल का फर्क होना चाहिए।
- बच्चे को गोद लेने के लिए माता पिता दोनों की रजामंदी होना चाहिए।
- अगर कोई महिला किसी बच्चे को गोद लेना चाहती है तो वह लड़का या लड़की में से किसी को भी आसानी से गोद ले सकती है।
- अगर कोई पुरुष बच्चे को गोद लेना चाहता है तो उसे केवल लड़का ही गोद दिया जाता है।
- कपल लड़का या लड़की में से किसी को भी गोद ले सकता है।
- माता-पिता की बच्चा गोद लेते समय आर्थिक स्थिति सही होनी चाहिए।
यह दस्तोवज है आवश्यक
- गोद लेने वाले परिवार की मौजूदा तस्वीर।
- बच्चे को गोद लेने वाले परिवार या शख्स का पैन कार्ड।
- बर्थ सर्टिफिकेट या कोई भी ऐसा दस्तावेज जिससे उस व्यक्ति की जन्म तिथि का प्रमाण मिल सके।
- आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, नवीनतम बिजली का बिल, टेलीफोन बिल इन सब में से किसी भी एक डॉक्यूमेंट का होना बेहद जरूरी है।
- उस साल के इनकम टैक्स की ऑथेंटिक कॉपी।
- गोद लेने के इच्छुक दंपति को अपने-अपने मेडिकल सर्टिफिकेट जमा कराने होंगे। वह सर्टिफिकेट किसी सरकारी अस्पताल के डॉक्टर का साइन किया हुआ प्रमाण पत्र हो सकता है, जिससे साबित हो जाए कि बच्चे को गोद लेने वाले शख्स को किसी तरह की बीमारी नहीं है।
- गोद लेने वाला शख्स शादीशुदा है तो शादी का प्रमाण पत्र।
- व्यक्ति तलाकशुदा है तो उसका प्रमाणपत्र।
- गोद लेने के पक्ष में इच्छुक व्यक्ति से जुड़े दो लोगों का बयान।
- अगर इच्छुक व्यक्ति का कोई बच्चा पहले से ही है और उसकी उम्र 05 साल से अधिक है तो उसकी सहमति।
भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया
भारत में बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन केंद्रीय दत्तक-ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority) इस प्रक्रिया की देखरेख करता है। हिमाचल प्रदेश में स्पेशलाइज्ड एडॉप्शन एजेंसी कार्यरत है। इसी के माध्यम से बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होती है। आवदेनकर्ता को होम स्टडी रिपोर्ट के समय 6 हजार रुपए फीस अदा करनी होती है। वहीं बच्चा गोद लेने के बाद माता पिता को 50 हजार रुपये शुल्क एजेंसी के पास जमा करवाना होता है।
गोद लेने की पूरी प्रक्रिया
पहला चरण पंजीकरण
- बच्चा गोद लेने वाले माता-पिता को CARA वेबसाइट पर पंजीकरण करना होता है।
- वह अधिकृत एडॉप्शन एजेंसीज, राज्य एडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी या जिला बाल संरक्षण इकाइयों के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं।
दूसरा चरण होम स्टडी रिपोर्ट (HSR)
- किसी अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी के सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा एक होम स्टडी की जाती है जिसमें इस बात की पड़ताल की जाती है कि गोद लेने वाला दंपत्ति बच्चे की देखरेख करने में पूरी तरह सक्षम हैं या नहीं।
तीसरा चरण संदर्भ और स्वीकृति
- होम स्टडी के बाद CARA पोर्टल के माध्यम से उस दंपत्ति को एक बच्चे का संदर्भ दिया जाता है।
- इसमें बच्चे का मेडिकल और सोशल बैकग्राउंड होता है और दंपत्ति के पास इसे स्वीकार करने के लिए 48 घंटे का वक्त होता है।
चौथा चरण गोद लेने से पहले देखभाल की प्रक्रिया
- बच्चे को स्वीकार करने के बाद, उसे कुछ वक्त के लिए दंपत्ति के साथ देखभाल के लिए रखा जाता है।
- इस अवधि में बच्चे और उसके दत्तक माता-पिता के बीच संबंध मजबूत होने की उम्मीद की जाती है और उसके बाद ही गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है।
पांचवें चरण में एजेंसी दत्तक माता पिता के सारे दस्तावेजों की चेकिंग करने के बाद बच्चे को सौंपती है।
छठे चरण में गोद लेने के बाद का फॉलोअप
- अधिकृत एडॉप्शन एजेंसी द्वारा समय-समय पर उस परिवार का फॉलोअप लिया जाता है जिसने बच्चे को गोद लिया है।
- हर 6 महीने के अंतराल में ये फॉलोअप दो साल तक किए जाते हैं।