शिमला : प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पन बिजली उत्पादन पर शुक्रवार से वाटर सेस लागू कर दिया है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन पर पानी का सेस लगाने का फैसला लिया है। आर्थिक तंगी से जूझ रही हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने राजस्व बढ़ाने की कड़ी में ये उपकर लगाया है। प्रदेश सरकार वाटर सेस लगाने के लिए एक अध्यादेश लाई है। शुक्रवार को इस बाबत राजपत्र में अधिसूचित किया गया। अब विधानसभा के बजट सत्र में बिल लाकर इसका कानून बनाया जाएगा। अध्यादेश के तहत सरकार प्रति घन मीटर 0.10 रुपये से लेकर 0.50 रुपये प्रति घनमीटर तक वाटर सेस वसूलेगी।
वाटर सेस की ये रहेगी दर
- 30 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना पर 0.10 रुपए प्रति घन मीटर
- 30 से 60 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना पर 0.25 रुपए प्रति घन मीटर
- 60 से 90 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना पर 0.35 रुपए प्रति घन मीटर
- 90 मीटर से अधिक हेड की पनबिजली परियोजना पर 0.50 रुपए प्रति घन मीटर की दर से वाटर सेस लगेगा।
प्रदेश में छोटी-बड़ी करीब 175 जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस से सरकार के खजाने में हर साल करीब 700 करोड़ रुपये जमा होंगे।