शिमला : पूर्व महापौर एवं सीपीआईएम नेता संजय चौहान ने कहा कि नगर निगम शिमला के टाऊन हॉल के बारे में मुख्य रूप से तथ्य सामने रखे गए थे। सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए नगर निगम का टाऊन हॉल कानूनी व आधिकारिक रूप से नगर निगम शिमला की संपत्ति है तथा राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार यह नगर निगम शिमला के स्वामित्व में है तथा रिकॉर्ड में भी कार्यालय दर्ज है। अतः इसका उपयोग नगर निगम द्वारा अपने विवेक व आवश्यकता के अनुसार किया जाना चाहिए और किसी भी तरह का बेवजह बाहरी हस्तक्षेप इस में नही किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इसके जीर्णोधार के समय में भी तत्कालीन नगर निगम के सदन के द्वारा जो इसका नक्शा पास किया गया था उसमे भी इसका उपयोग आवश्यकता अनुसार ही तय किया गया था। इसमें उपरी मंजिल में महापौर, उपमहापौर, आयुक्त के कार्यालय के साथ ही अगुंतको को बैठने का स्थान व एक सम्मेलन कक्ष बनाया गया था और निचली मंजिल में नगर निगम की सदन की बैठक का कक्ष, पार्षदों का कक्ष तथा इसके साथ जनसुविधा केन्द्र स्थपित करने का निर्णय लिया गया था। परन्तु पूर्व बीजेपी की नगर निगम के समय में उपरी मंजिल में महापौर व उपमहापौर के कार्यालय तो स्थापित कर दिये परन्तु बाकि के हिस्से का कोई इस्तेमाल नही किया। और निचली मंजिल को निजी कंपनी को देने का प्रस्ताव पारित कर इस पर उच्च न्यायालय की मोहर लगवा कर इसे निजी कंपनी को दे दिया जोकि बिल्कुल ही उचित निर्णय नही है। क्योंकि दुनिया में टाऊन हाल नगर निगम या शहरी निकायों के अधीन ही रहता है और शहर की जनता द्वारा चुनी सरकार नगर निगम ही इसका संचालन करता है।
पत्र में माननीय मुख्यमंत्री से मांग की गई थी कि इसकी निजली मंजिल को निजी कंपनी को देने पर रोक लगाई जाए तथा इसे नगर निगम शिमला जो इसका कानूनी रूप से हकदार है को को इस्तेमाल करने दिया जाए।
परन्तु पिछले कल महापौर व उपमहापौर के चुनाव के पश्चात घटित घटनाक्रम में उपमहापौर को भी इसमें कार्यालय नही दिया गया है। यह नगर निगम जोकि एक संवैधानिक संस्था है, की स्वायत्तता पर हमला है। सरकार तुरन्त इस निर्णय को वापिस ले और नगर निगम की स्वायत्तता बनाए रखते हुए टाऊन हाल को निजी कंपनी को देने के निर्णय को निरस्त कर इसे नगर निगम शिमला के अधीन इसके तय प्रारूप के अनुरूप इस्तेमाल करने के लिए दिया जाए। टाऊन हॉल जोकि एक एतिहासिक धरोहर है को जनहित के लिए इस्तेमाल किया जाए।
