उड़द, मूंग, दालचना सहित कई दालों के खमीर के साथ होती है तैयार
शुद्ध देसी घी का ही होता है प्रयोग, 42 सालों से बना रहे जलेबी, मिल चुके कई पुरस्कार
रिज पर घूम रहे है तो जरूर लें ताऊ की जलेबी का आनंद
शिमला : शिमला में खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए एक अच्छी खबर है। पर्यटन सीजन के चलतेे रिज मैदान पर लगे स्टाल में ताउ की जलेबी ने पर्यटकों सहित स्थानों लोगों को कायल कर दिया है। हरियाणा के गोहाना से आए ताउ बलजीत ने बताया कि मैं 42 वर्षों से लगातार जलेबी बना रहा हूं। इसकी लोकप्रियता ही है कि लोग अब हरियाणा के बाहर उनकी प्रतिभा को सराह रहे है। जलेबी की खास बात पूछने पर ताउ ने बताया कि इसको बनाने में उड़द, मंूग, दालचना सहित कई दालों को खमीर के साथ तैयार किया जाता है। खास बात है कि इसे बनाने में शुद्ध देसी घी का ही प्रयोग होता है। हालांकि आपको 250 ग्राम के पीस के लिए 100 रुपए अदा करने पड़ते हैं, लेकिन फिर भी खाने-पीने के शौकीन लोग इसे हंसी खुशी बर्दाश्त कर रहे हैं। दामों के बारे में बलजीत ने बताया कि आजकल मंहगाई इतनी ज्यादा हो रही है कि दाम बढ़ाना एक कारीगर की मजबूरी बन जाती है। ताउ बलजीत को अपनी जलेबी की खासियत की वजह से अनेक ईनाम भी मिल चुके हैं, जिसमें राज्य फूड सेफटी एंड रैगुलेशन हरियाणा की ओर से पुरस्कृत मिल चुका है। इसके अलावा चंडीगढ़ कलाग्राम, हिमाचल के मंडी में, कुरूक्षेत्र में मुखयमंत्री हुड्डा भी ताउ को उनकी जलेबी के लिए पुरस्कार दे चुके हैं। वहीं वहां रहे राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ां ने भी इनको पुरस्कार दिया है, जबकि मेरठ के जिलाधीश ने जलेबी की अद्भुत प्रतिभा को देखते हुए चांदी का गुर्ज भी इनाम में दिया था। अगर इन दिनों आप लोग रिज मैदान पर घूम रहे है तो ताउ की जलेबी का जरूर आनंद ले।
6 महीने तक नहीं होती खराब
गोहाना से आए ताउ बलजीत का दावा है कि शिमला की वादियों में यह जलेबी 6 महीने आराम से प्रयोग की जा सकती है। पांच से छह महीने तक बिल्कुल खराब नहीं होती। बलजीत ने जानकारी दी कि हरियाणा में बेहद गर्मी पड़ती है फिर भी लोग इसे एक महीने के लिए आराम से ले लेते हैं। यह जलेबी हरियाणा में ही नहीं बल्कि साथ लगते पंजाब और उतराखंड आदि राज्यों में भी प्रसिद्ध हो चुकी है।
हर वर्ष आते है शिमला
ताऊ हर साल समर फेस्टिवल के दौरान शिमला आते है। इनकी जलेबी का लोगों को इंतजार ही रहता है। वैसे रिज मैदान में कई स्टॉल लगे है, लेकिन ताऊ के स्टॉल के आगे लोगों की काफी भीड़ लगी होती है।