सहगल को हिमालय मंच ने ‘हिमालय शिरोमणि संगीत सम्मान‘ से किया अलंकृत। साथ सभी कलाकारों का भी किया सम्मान
शिमला : हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच, शिमला हि.प्र. द्वारा क्रिसमिस के दिन “बांका मुल्का हिमाचला“ के टाइटल के अंतर्गत शिमला ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में हिमाचल के पारंपरिक लोक गीतों का भव्य आयोजन आईडीबीआई बैंक शिमला और हिमाचल अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में किया गया जिसमें प्रख्यात लोक गायक डॉ. कृष्ण लाल सहगल और उनके 20 शिष्यों की लाइव प्रस्तुतियों से सभागार गूंज उठा। शिष्य लोक गायकों ने जहां डॉ. कृष्ण लाल सहगल के पारंपरिक लोक गीत गाए वहीं डॉ. सहगल ने अपने गीतों के साथ हिमाचल के कई जिलों के अति पारंपरिक लोक गीतों से भारी संख्या में उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। दीप प्रज्जवलन के बाद हिमालय मंच द्वारा डॉ.कृष्णलाल सहगल को हिमाचली लोक संगीत के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु ‘हिमालय संगीत शिरोमणि सम्मान‘ से अलंकृत किया गया। मंच पर आईडीबीआई बैंक के क्षेत्रिय प्रमुख अरूण कुमार जैन, सहायक महा प्रबंधक अभिलाष धीमान और वरिष्ठ लेखक श्रीनिवास जोशी उपस्थित रहे। सम्मान प्राप्त करने के बाद डॉ. सहगल ने अपने संक्षिप्त संबोधन में हिमालय मंच के अध्यक्ष और प्रख्यात लेखक एस.आर.हरनोट की इस परिकल्पना और संयोजन के लिए उनका आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके जीवन में इस तरह का यह पहला भव्य आयोजन है। इससे पूर्व सहगल जी का हिमालय मंच और उनके शिष्यों द्वारा गेयटी के प्रवेश द्वार पर पारंपरिक लोक वाद्यों के साथ भव्य स्वागत किया गया। और अन्य विशेष अतिथियों का भी। यह आयोजन आईडीबीआई बैंक शिमला और हिमाचल अकादमी के संयुक्त संयोजन में किया गया। अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए एस.आर.हरनोट ने प्रदेश सरकार से मांग की कि हिमाचल की अपनी लोक संगीत अकादमी होनी चाहिए ताकि पारंपरिक लोक गीतों, लोक वाद्यों और लोक नाट्यों का संग्रहण और संरक्षण किया जा सके। उन्होंने परिवहन निदेशक साहित्य और संगीत अनुरागी अनुपम कश्यप जी का उनके प्रोत्साहन और सहयोग के लिए विशेष आभार व्यक्त किया। इस सत्र का संचालन अकादमी के सचिव डॉ.कर्म सिंह ने बड़ी कुशलता से किया और उन्होंने भी यह माना कि गेयटी में इस तरह का भव्य और अनूठा आयोजन एक लोक गायक के सम्मान में शायद पहले कभी नहीं हुआ।
लोक संगीत के विशेष सत्र में कृष्ण लाल सहगल द्वारा इस आयोजन के लिए हिमाचली बोली में स्वरबद्ध की गई सरस्वती वंदना को सभी लोक गायकों ने प्रस्तुत किया और उसके बाद सहगल की बेटी डॉ.सविता सहगल ने शास्त्रीय संगीत पर आधारित खूबसूरत प्रस्तुति पेश की। सहगल जी के शिष्य युवा लोक गायकों ने एक घण्टे तक सहगल जी के गाए, कम्पोज किए और लिखे लोक गीतों की प्रस्तुतियां अनु शर्मा और रक्षा शर्मा के आकर्षक लोक नृत्य के साथ दी। जैसे ही डॉ. सहगल मंच पर आए, सभागार में बैठे संगीत प्रेमियों ने उनका तालियों से भव्य स्वागत किया। उन्होंने डेढ़ घण्टें तक न केवल अपने गाए लोक गीतों की प्रस्तुतियां पेश कीं बल्कि हिमाचल के विभिन्न जिलों के लोक गीत भी प्रस्तुत किए जिसने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। खचाखच भरे गेयटी हाल में इन प्रस्तुतियों के बाद हिमालय मंच ने सभी कलाकारों को हिमाचली मफलर, टोपी, सम्मान राशि और स्मृति चिन्हं देकर सम्मानित किया गया जिसमें श्रीनिवास जोशी, अरूण कुमार जैन, अभिलाष शर्मा, एसडीएस अर्की केशवराम और एस.आर.हरनोट शामिल रहे। लोक गायकों और वादकों की ओर से डॉ. सविता सहगल द्वारा एस.आर.हरनोट का भी शॉल, टोपी पहनाकर सम्मान किया गया। हिमालय मंच ने हिमालय डिजिटल मीडिया के संपादक हितेन्द्र शर्मा और प्रचार सामग्री की डिजाइनिंग के लिए डिलाइन इंडिया और आभी प्रकाशन के निदेशक संचालक जगदीश हरनोट का भी सम्मान किया। लोक संगीत सत्र का आकर्षक संचालन आकाशवाणी और दूरदर्शन के उद्घोषक व लोक गायक जगदीश गौतम तथा भानु प्रिया वर्मा ने अति कुशलता से किया। गेयटी हाल और गेयटी की सभी गैलरियां श्रोताओं से खचाखच भरी थी और बहुत से श्रोताओं ने तीन घण्टों तक खड़े होकर कार्यक्रम का आनंद लिया।
डॉ.सहगल जी के साथ जिन लोक गायकों और लोक वादकों ने प्रस्तुतियां दीं उनमें शास्त्रीय संगीत में डॉ. सविता सहगल, हिमाचली लोक गायकों में रोशनी शर्मा, भारती शर्मा, हरि प्रकाश, डॉ.राजेश चौहान, हरीश गुप्ता, ओम प्रकाश, जगदीश गौतम, रोहित ठाकुर, आशु तोमर, अरुण ठाकुर और लोक वादकों में रमेश धीमान, सूरज मणि, नरेश धीमान, नरेश कुमार, राजेंद्र चौहान, कुलदीप चौहान और लाभ सिंह तथा लोक नृत्य में रक्षा शर्मा और अनु शर्मा शामिल रहें। हिमालय मंच द्वारा निदेशक भाषा विभाग पंकज ललित, अकादमी के सचिव डॉ.कर्म सिंह, आई डी बी आई बैंक, मीडिया, गेयटी थियेटर प्रशासन और हॉल में उपस्थित सभी श्रेातागणों दर्शकों के साथ हिमालय मंच के उपस्थित सदस्यों का विशेष आभार व्यक्त किया। साथ पूर्व आई ए एस अधिकारी के आर भारती, शरभ नेगी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों, साहित्यकारों, रंग कर्मियों और संगीत प्रेमियों का भी धन्यवाद किया।