जुब्बल कोटखाई में भाजपा की राह नहीं होगी आसान
शिमला : भाजपा से बगावत पर उतरे व चुनावी मैदान में डटे रहने वाले भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक चेतन बरागटा को इसकी कीमत चुकानी पड़ी है। भाजपा ने उन्हें तत्काल प्रभाव पार्टी से 6 सालों के लिए निष्कासित किया है। उन्हें जुब्बल कोटखाई उपचुनावों में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार नीलम सरैक के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडऩे पर निष्कासित किया है।
भाजपा जुब्बल कोटखाई में पार्टी से बागी हुए पूर्व विधायक एवं पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा के पुत्र को नहीं मना पाई। पार्टी ने उन्हें मनाने के प्रयास किए, जिसमें वह कामयाब नहीं हुए। आज नामांकन पत्र वापिस लेने की अंतिम तारीख थी। जब चेतन बरागटा ने नाम वापिस नहीं लिया तो पार्टी ने उनके खिलाफ यह कार्रवाई की है। ऐसे में अब जुब्बल कोटखाई हलके में भाजपा की राह आसान नहीं होगी। क्योंकि हलके में जहां बरागटा का अपना एक जनाधार है, वहीं स्थानीय मण्डल के अधिकांश पदाधिकारी, कार्यकर्ता उनके साथ चल रहे हैं तथा उनके पक्ष में प्रचार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र बरागटा के निधन के कारण यह सीट खाली हो गई है। इसके बाद क्यास लगाए जा रहे थे कि जुब्बल कोटखाई से पार्टी टिकट चेतन बरागटा को ही मिलेगा। इसे देखते हुए उन्होंने प्रचार भी शुरू कर दिया था। यहां तक कि मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों के कार्यक्रमों में चेतन बरागटा ने उनके साथ मंच सांझा किए व उनके पक्ष में प्रचार भी किया। चेतन बरागटा ने भी क्षेत्र में संपर्क अभियान व प्रचार अभियान शुरू कर दिया था। लेकिन ऐन मौके पर पार्टी ने उन्हें धोखा दे दिया तथा नीलम सरैक को पार्टी टिकट दे दिया। ऐसे में उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी तथा चुनावी मैदान में उतर गए। अब देखना है कि उनके चुनावी मैदान में उतरने से पार्टी को कितना नुकसान होता है।