शिमला: प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने सभी उप निदेशकों से निजी स्कूलों में आर्थिक तौर पर कमजोर तबके यानी ईडब्लयूएस के बच्चों को 25 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था को लेकर रिपोर्ट तलब की है।सामने आया है कि इन स्कूलों में ये व्यवस्था सही तरीके से लागू नहीं हो रही है। इस पर कोर्ट की फटकार के बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया है।
दिशा निर्देश जारी कर तुरंत प्रभाव से इस संबंध में उचित कदम उठाने को को कहा है।
शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेशों में उप निदेशकों को सभी निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के मामले में रिपोर्ट देनी होगी। इन स्कूलों ने अपने अपने यहां कितने फीसदी ऐसे छात्रों को दाखिला दिया है, इसका भी ब्यौरा निदेशालय तक 15 फरवरी तक देना होगा। सभी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को कमजोर वर्ग से संबंधित और वंचित समूह के विद्यार्थियों को 25 फीसदी आरक्षण देना जरूरी है।
इन बच्चों को दाखिला देने के बारे में स्कूलों को सूचना नोटिस बोर्ड में लगानी होगी। इसके अलावा आम जनता की जानकारी के लिए नोटिस को स्कूल परिसर के बाहर चिपकाने के साथ-साथ पंचायत घर, सार्वजनिक स्थान, पंचायतों और नगर निकायों के विभिन्न वार्डों, बस स्टॉप जैसे सार्वजनिक जगहों पर भी चिपकानी होगा।
स्कूलों में प्रवेश शुरू होने से पहले ऐसे विद्यार्थियों को आवेदन के लिए 30 दिन देना जरूरी होगा। खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों को संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से आरक्षण की जानकारी शिक्षा निदेशालय को देनी होगी।साथ ही उप निदेशकों से इस बारे में उचित कदम उठाने के साथ ही 15 दिन में एक्शन टेकन रिपोर्ट भी देने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा के अधिकार कानून यानी आरटीई के मुताबिक सभी निजी स्कूलों को अपने यहां 25 सीटें आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के बच्चों के लिए आरक्षित करना जरूरी है, लेकिन इस कानून का हिमाचल में पालन नहीं हो रहा था। इसको लेकर एक याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी। इस पर हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश के सभी स्कूलों में कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को 25 फीसदी आरक्षण देने के सख्त आदेश दिए हैं।
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