शिमला : हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर और लाहौल स्पीति के बौद्ध अनुयायियों ने साढे 4 साल के बच्चे को अपना धर्मगुरु मान लिया है। लाहौल-स्पीति में ताबो क्षेत्र के रंगरिक गांव के छोटे लड़के को धर्म गुरु का पुनर्जन्म बताया जा रहा है। बौद्ध भिक्षुओं का मानना है कि बौद्ध धर्म के निंगमा स्कूल के ‘तकलुंग चेतुल रिंपोछे’ का चौथा जन्म इस बच्चे के रूप में हुआ है। कोरोना काल की वजह से पिछले 2 सालों से वो धर्म गुरु के चौथे पुनर्जन्म को नहीं मना पाए। 2015 में हमारे तीसरे धर्म गुरु का देहांत हो गया था। लेकिन 2018 में धर्म गुरु “तक्लुंग चेतुल रिंपोछे” ने हम सभी के लिए चौथी बार 2018 में लाहौल स्पीति में जन्म लिया।
दोरजीडक मठ शिमला में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं ने बालक भिक्षु का स्वागत किया।लाहौल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल की नर्सरी में पढ रहे बच्चे ‘नवांग ताशी राप्टेन’ को औपचारिक रूप से गुरु बना दिया है।
बौद्ध गुरुओं ने बालक के घर जाकर इसकी पहचान की। आज शिमला में विधिवत रूप से बालक का नाम बदलकर तकलुंग चेतुल रिंपोछे रख दिया है। जो दोरजीडक मठ के अनुयायियों का आगामी गुरु होगा।
नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल 2018 को रंगरिक गांव लाहौल स्पीति में हुआ। वहीं पर नर्सरी में एडमिशन भी ली,लेकिन धर्मगुरु बनने के बाद अब आगे की पढाई शिमला के दोरजीडक मठ पंथाघाटी में होगी।
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